तारापीठ - Tarapith

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ तारापीठ, माँ तारा, माँ काली, नयन तारा
तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल के वीरभूमि जिले में स्थित सबसे प्रमुख धार्मिक तीर्थ है। यह एक सिद्धपीठ भी है, मंदिर में माँ काली की मूर्ति की पूजा माँ तारा के रूप मे की जाती है। यहां पर सुदर्शन चक्र से छिन्न भिन्न होकर देवी सती की आंख की पुतली का बीच का तारा गिरा था। इसलिए इसका नाम तारापीठ है। इस स्थान को नयन तारा भी कहा जाता है।

तारापीठ का धार्मिक महत्व
माना जाता है कि देवी तारा की आराधना से हर रोग से मुक्ति मिलती है। हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में तारापीठ का सबसे अधिक महत्व है। यह पीठ असम स्थित 'कामाख्या मंदिर' की तरह ही तंत्र साधना में विश्वास रखने वालों के लिए परम पूज्य स्थल है। यहाँ भी साधु-संत अतिविश्वास और श्रद्धा के साथ साधना करते हैं। तारकनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं को तारापीठ आना पड़ता है, ताकि यात्रा पूरी हो सके।

तारापीठ मंदिर का प्रांगण श्मशान घाट के निकट स्थित है, इसे महाश्मशान घाट के नाम से जाना जाता है। इस महाश्मशान घाट में जलने वाली चिता की अग्नि कभी बुझती नहीं है। यहाँ आने पर लोगों को किसी प्रकार का भय नहीं लगता है। मंदिर के चारों ओर द्वारका नदी बहती है। तारापीठ मंदिर में वामाखेपा नामक एक साधक ने देवी तारा की साधना करके उनसे अनेक सिद्धियाँ हासिल की थीं।

तारापीठ का महिमा
प्राचीन काल में महर्षि वशिष्ठ ने इस स्थान पर देवी तारा की उपासना करके सिद्धियाँ प्राप्त की थीं। वर्तमान में तारापीठ का निर्माण 'जयव्रत' नामक एक व्यापारी ने करवाया था। एक बार यह व्यापारी व्यापार के सिलसिले में तारापीठ के पास स्थित एक गाँव पहुँचा और वहीं रात गुजारी। रात में देवी तारा उसके सपने में आईं और उससे कहा कि - पास ही एक श्मशान घाट है। उस घाट के बीच में एक शिला है, उसे उखाड़कर विधिवत स्थापना करो। इसके बाद व्यापारी ने देवी तारा का एक भव्य मंदिर बनवाया, और उसमें देवी की मूर्ति की स्थापना करवाई। इस मूर्ति में देवी तारा की गोद में बाल रूप में भगवान शिव हैं, जिसे माँ स्तनपान करा रही हैं। भक्त लोग मंदिर से सटे पवित्र तालाब में पवित्र स्नान करते हैं।

तंत्र साधना का स्थल
माँ तारा दस विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं। हिन्दू धर्म में तंत्र साधना का बहुत महत्व है। तंत्र साधना के लिए विंध्यक्षेत्र प्राचीन समय से ही बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ साधक माँ तारा की साधना करके सिद्धि प्राप्त करते हैं। इस पीठ में तांत्रिकों को शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त होती है, ऐसा साधकों की मान्यता है। इस मंदिर के समीप एक प्रेत-शिला है, जहाँ लोग पितृपक्ष में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। इसी स्थल पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने भी अपने पिता का तर्पण, पिंडदान किया था। देवीपुराण के अनुसार, माँ तारा देवी जगदम्बा विंध्यवासिनी की आज्ञा के अनुसार विंध्य के आध्यात्मिक क्षेत्र में सजग प्रहरी की तरह माँ के भक्तों की रक्षा करती रहती है।

कैसे पहुंचे तारापीठ
तारापीठ कोलकाता से सड़क और ट्रेन से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां दर्शन के लिए श्रद्धालु आसानी से पहुंच सकते हैं। मंदिर के ही निकट तारापीठ इस्ककों मंदिर स्थापित है।
प्रचलित नाम: तारापीठ, माँ तारा, माँ काली, नयन तारा, देवी माँ
Tarapith - Read In English
Tarapith Temple is the most prominent religious pilgrimage located in the Birbhum district of West Bengal. It is also a Siddhapeeth, the idol of Maa Kali, is worshiped as Maa Tara in the temple. Here the middle star of the iris of Devi Sati fell apart from the Sudarshan Chakra. Hence its name is Tarapith. This place is also known as \"Nayan Tara\".

जानकारियां - Information

दर्शन समय
6:00 AM - 9:00 PM
त्योहार
समर्पित
Maa Kali

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
VIP Road Tarapith City West Bengal
मेट्रो 🚇
सड़क/मार्ग 🚗
Tarapith Road
रेलवे 🚉
Tarapith Road
हवा मार्ग ✈
Kazi Nazrul Islam Airport, Durgapur
नदी ⛵
Dwaraka
वेबसाइट 📡
सोशल मीडिया
निर्देशांक 🌐
24.113238°N, 87.796678°E

क्रमवद्ध - Timeline

6:00AM - 9:00PM

फोटो प्रदर्शनी - Photo Gallery

Pravesh Dwar

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Updated: Mar 22, 2023 00:13 AM