बाबा तारक नाथ और तारकेश्वर मंदिर, भारत के बंगाल राज्य की राजधानी कोलकाता से 85 किलोमीटर की दूरी पर हुुगली जिले में तारकेश्वर नामक एक प्रमुख शहर में स्थित है। तारकेश्वर मंदिर भगवान तारकनाथ को समर्पित है, जो भगवान शिव के ही एक रूप है। मंदिर में महादेव को
बाबा तारकनाथ के नाम से संबोधित करते हैं।
तारकनाथ, भगवान शिव का एक उग्र रूप है, जिन्होंने समुद्र-मंथन के दौरान विष पिया था। तारकेश्वरनाथ भगवती तारा के पति हैं, जिनकी मंदिर
तारापीठ नाम से प्रसिद्ध है।
तारकेश्वर महादेव मंदिर की कहानी
1729 में निर्मित, मंदिर बंगाल मंदिर वास्तुकला की एक अचला संरचना है जिसके सामने एक 'नटमंदिर' है। निकट ही काली और लक्ष्मी नारायण के मंदिर हैं। तारकेश्वर महादेव मंदिर बंगाल का प्रमुख शिव मंदिर है। राजा भारमल राव ने तारकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था।
तारकेश्वर मंदिर दर्शन
तारकेश्वर महादेव मंदिर तारकेश्वर स्टेशन पर उतरने के कुछ ही दूरी पर है।
मंदिर के पास एक सरोवर है। जिसका नाम दूधपोखर है यानि दूध का तालाब। तारकेश्वर महादेव दर्शन में आने वाले यात्री सबसे पहले इस पवित्र सरोवर में स्नान करते हैं। मान्यता है कि जो भी इसमें डुबकी लगाता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। फिर तारकेश्वर महादेव को जल, फल, फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
तारकनाथ के दर्शन के लिए अलग-अलग स्त्री-पुरुषों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई होती हैं।
मंदिर के पूर्व में काली मां का मंदिर, पश्चिम में शिव गंगा और उत्तर में दामोदर ठाकुर का मंदिर है। रविवार एवं सोमवार के दिन मंदिर में भक्तों की संख्या बाकी दिनों की अपेक्षा अधिक होती है
तारकेश्वर मंदिर के प्रमुख त्यौहार
भक्त पूरे साल मंदिर में आते हैं, खासकर सोमवार को। लेकिन हजारों तीर्थयात्री
शिवरात्रि के अवसर पर तारकेश्वर जाते हैं।
श्रावण का महीना शिव के लिए शुभ होता है उस समय प्रत्येक सोमवार को उत्सव मनाया जाता है।
प्रचलित नाम: तारकनाथ, बाबा तारकनाथ, तारकेश्वर, तारकेश्वर पीठ, शिव जी, मां तारा