सिंहाचलम मंदिर, जिसे वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध मंदिर है जो विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक माना जाता है।
इमारत समुद्र तल से 800 मीटर ऊपर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है और भगवान नरसिम्हा को समर्पित है, जो स्वयं विष्णु के अवतार हैं।
सिंहाचलम मंदिर, विशाखापत्तनम वास्तुकला और इतिहास:
❀ यहाँ के पीठासीन देवता वराह लक्ष्मीनरसिम्हा हैं, जो वराह और नरसिम्हा की प्रतीकात्मक विशेषताओं का संयोजन करते हैं। त्रिभंग मुद्रा में देवता के मूल आकार में मानव धड़ पर शेर के सिर के साथ दो हाथ हैं।
❀ सिंहाचलम मंदिर अत्यंत विस्तृत पत्थर की नक्काशी और डिजाइन से सुशोभित है और इसे दूर से ही देखा जा सकता है।
यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी- जो भगवान विष्णु के तीसरे और चौथे अवतार का संयोजन हैं- प्रकट होते हैं। यह मंदिर कलिंग और चालुक्य वास्तुकला निर्माण को जोड़ता है।
❀ मंदिर की कथा हिरणकश्यप और प्रहलाद की कहानी पर आधारित है। प्रहलाद ने भगवान नरसिंह को समर्पित सिंहाचलम मंदिर का निर्माण किया, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वही मंदिर है जो आज यहां खड़ा है।
सिंहाचलम मंदिर, विशाखापत्तनम के प्रसिद्ध त्यौहार:
कल्याणोत्सव
❀ कल्याणोत्सव, वराह नरसिम्हा का वार्षिक खगोलीय विवाह, भारतीय चंद्र चैत्र महीने की पहली तिमाही के 11वें दिन मनाया जाता है। यह उत्सव पांच दिनों तक मनाया जाता है।
चंदनोत्सव
❀ चंदनोत्सव, जिसे
चंदन यात्रा के रूप में भी जाना जाता है, मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह मंदिर की किंवदंती के अनुसार
अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) के त्योहार के दिन मनाया जाता है।
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छवि चंदन के लेप से ढके शिवलिंगम जैसी दिखती है। यह वर्ष में केवल एक बार चंदन विसर्जन के दौरान होता है कि चंदन का लेप हटा दिया जाता है, और छवि तीर्थयात्रियों द्वारा देखी जाती है। मुख्य देवता वैशाख सुड्डा थडिया को छोड़कर पूरे वर्ष चंदन के लेप (चंदनम) से ढके रहते हैं। इस शुभ दिन पर, मुख्य देवता केवल 12 घंटे के लिए निजपद दर्शन (भगवान का असली रूप) देते हैं।
❀ किंवदंती है कि नरसिंह का उग्र रूप जब उसने राक्षस हिरण्यकशिपु का वध किया था तो वह इतना भयंकर था कि छवि को पूरे वर्ष चंदन के लेप से ढक कर रखा जाता है।
❀ शाम को, चंदनभिषेक और सहस्रकालसभिषेक के साथ शुरू होने वाली कई स्नान सेवाएं की जाती हैं। भगवान नरसिम्हा को तीन अलग-अलग प्रकार के 'प्रसादम' चढ़ाए जाते हैं, जो उत्सव के अंत का प्रतीक हैं।
प्रमुख त्योहारों के अलावा
नरसिंह जयंती,
जन्माष्टमी,
दीपावली भी मंदिर में मनाई जाती है।
सिंहाचलम मंदिर दर्शन का समय:
भक्त मंदिर में सोमवार से रविवार सुबह 7:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक और शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
सिंहाचलम मंदिर, विशाखापत्तनम कैसे पहुँचें?
विशाखापत्तनम शहर भारत की अन्य शहरों से रोडवेज, रेलवे और एयरवेज से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सिम्हाचलम मंदिर शहर के केंद्र से केवल 20 किमी की दूरी पर स्थित है और मंदिर आपकी सुविधा के लिए परिवहन के कई विकल्प प्रदान करता है।
प्रचलित नाम: Simhachalam Temple, Varaha Lakshmi Narasimha Temple, Bhagwan Narasimha