बाबा वैद्यनाथ धाम के निकट माता शीतला का पुरातन मंदिर इतना पुरातन है कि इसका कोई प्रमाण भी नहीं है।
शीतला माता मंदिर में प्रत्येक दिन पुरुषों की अपेक्षा महिला भक्तों की संख्या अधिक होती है। प्रतिदिन भक्त माता को जल अर्पण करने हेतु नियमित पधारते हैं।
चैत्र माह में आने वाली गलवाई पूजा मंदिर में बड़ी ही धूम-धाम से मनाई जाती है, इस पूजा का समय और तिथि प्रत्येक वर्ष पुरोहित जी द्वारा निर्धारित की जाती है। चैत्र माह में ही मालवाड़ी समाज के लोगों द्वारा बासौडी (
बसौड़ा) उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। वैशाख माह में
नगर पूजा तथा अश्विन माह में
दशहरा उत्सव का मंदिर के इतिहास में एक विशेष महत्व है।
मंदिर की सेवा के लिए समर्पित पुरोहित
श्री सुनील दत्त तिवारी जी कई पीढ़ियों से मंदिर की सेवा करते आरहे हैं। इनका माता के प्रति समर्पण तो है ही साथ ही साथ भक्तों के प्रति इनका पूजा के सहयोजक के रूप में भी उत्तम व्यवहार रहता है।
मंदिर अत्यधिक व्यस्त मार्केट में स्थित होने के कारण अक्सर बाहर से आए भक्तों द्वारा इसे ढूढ़ना कठिन हो जाता है। शीतला माता मंदिर देवघर के पुरातन एवं प्रसिद्ध
बैजू मंदिर के लगभग सामने(50मीटर दूर) ही है। मंदिर देवघर के प्रसिद्ध
घंटा घर से लगभग 300-400 मीटर ही दूर स्थित है।
प्रचलित नाम: माँ शीतला मंदिर, श्री श्री शीतला देवी मंदिर