सरुंड माता मंदिर - Sarund Mata Mandir

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ सरुंड माता मंदिर माता दुर्गा के अवतार माता सरुंड को समर्पित है।
◉ मान्यता है कि रात्रि के समय माता रानी स्वयं शेर पर सवार होकर भ्रमण करती हैं।
◉ राजस्थान सहित देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु नवरात्रि के दौरान मां के दर्शन के लिए आते हैं।
◉ राजवंश तंवर या तोमर राजपूतों की कुलदेवी।
◉ खंडेलवाल मामोड़िया समाज के लोग मां सुरुंड को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं।
सरुंड माता मंदिर, जिसे सरुंड मा और चिलाय माता के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान में कोटपूतली, कोटपूतली राजमार्ग के पास सरुंड गांव में स्थित है। यह मंदिर माता दुर्गा के अवतार माता सरुंड को समर्पित है।

सरुंड माता मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
सरुण्ड माता की मूर्ति एक गुफा में स्थापित है। महाभारत कालीन यह मंदिर सरुंड गांव में अरावली की पहाड़ी पर स्थित है। जिस तक पहुंचने के लिए 284 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर में मां की मूर्ति पांडवों द्वारा गुप्त काल के दौरान स्थापित की गई थी। मंदिर में स्थापित चिलाय देवी मां की मूर्ति पांडवों और उनके राजवंश तंवर या तोमर राजपूतों की कुल देवी का रूप है, खंडेलवाल मामोड़िया समाज के लोग मां सुरुंड को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं।

किवदंती है कि 16वीं सदी में मुगल बादशाह अकबर ने माता की मूर्ति के शराब पीने की बात सुनने के बाद ऊंटों पर शराब का जखीरा लाया था। लेकिन हर बार मंदिर के आधे रास्ते तक ऊंटों पर रखी शराब खाली हो जाती थी। यह देखकर मुगल बादशाह अकबर को झुकना पड़ा। इसके बाद अकबर ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। इस तक पहुंचने के लिए सात द्वारों से होकर गुजरना पड़ता है। पहले एक ही गेट होता था, जबकि बाकी छह दरवाजे मुगल कालीन हैं। कहा जाता है कि इन दरवाजों का निर्माण अकबर ने करवाया था। यह सिलसिला औरंगजेब के समय भी जारी रहा।

माता के पदचिह्न: मान्यता है कि रात्रि के समय माता रानी स्वयं शेर पर सवार होकर भ्रमण करती हैं। पुजारियों के अनुसार मंदिर की चढ़ाई के दौरान मां के पदचिह्न आधे रास्ते में आते हैं जबकि मंदिर की परिक्रमा में 52 भैरोनू, 56 कालवा, 64 योगिनी, 9 नरसिम्हा और 5 पीर क्षेत्रपाल स्थित हैं। इसके अलावा 500 साल पुरानी बावड़ी, छतरी और गुफा के बीच में हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर भी स्थित है।

सरुंड माता मंदिर दर्शन का समय
मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 4 बजे से रात 8 बजे तक है।

सरुंड माता मंदिर के प्रमुख त्यौहार
नवरात्रि सरुंड माता मंदिर के प्रमुख त्यौहार है। यहां नवरात्रि की सप्तमी से नवमी तक तीन दिवसीय मेला होता है। साथ ही सप्तमी की रात को जागरण भी किया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक माह की शुक्ल अष्टमी को जागरण का भी आयोजन किया जाता है। मंदिर का वार्षिक उत्सव हर वर्ष वैशाख शुक्ल षष्ठी से नवमी तक लगातार चार दिनों तक आयोजित किया जाता है। राजस्थान सहित देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं।

सरुंड माता मंदिर तक कैसे पहुंचें?
सरुंड माता मंदिर कोटपूतली जिले से 10 किमी दूर है। जयपुर रेलवे स्टेशन से यहां पहुंचने में दो घंटे लगते हैं। जयपुर और कोटपूतली के बीच की दूरी 128 किमी है। सड़क की दूरी 107.8 किमी है।

सरुंड माता मंदिर का अनुभव
❀ माता के दर्शन के बाद सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्ति मिल जाती है।
❀ मंदिर से ऊपर का दृश्य मनमोहक है।
❀ पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ हैं और तीर्थयात्रियों को धूप और बारिश से बचाने के लिए सीढ़ियों के ऊपर छाया की भी व्यवस्था है।
प्रचलित नाम: सरुंड मा, चिलाय माता
Sarund Mata Mandir - Read In English
Sarund Mata Temple, also known as Sarund Ma and Chilay Mata, is located in Sarund village near Kotputli Highway, Kotputli in Rajasthan, India. This temple is dedicated to Mata Sarund, the incarnation of Devi Durga.

जानकारियां - Information

दर्शन समय
4 AM - 8 PM
मंत्र
जय माता रानी
त्योहार
Navratri, Dussehra | यह भी जानें: एकादशी
बुनियादी सेवाएं
पेयजल, प्रसाद, सीसीटीवी सुरक्षा, जूता स्टोर, पार्किंग स्थल
समर्पित
सरुंड माता

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
Saroond Kotputli Rajasthan
मेट्रो 🚇
सड़क/मार्ग 🚗
Neem Ka Thana - Kotputli Road
रेलवे 🚉
Kotputli | Maonda
हवा मार्ग ✈
Jaipur International Airport
सोशल मीडिया
निर्देशांक 🌐
27.7174659°N, 76.1249852°E

क्रमवद्ध - Timeline

4 AM - 8 PM

फोटो प्रदर्शनी - Photo Gallery

Shivling with Gan

Temple on the top

सरुंड माता मंदिर गूगल के मानचित्र पर

अगर आपको यह मंदिर पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें
Updated: Oct 05, 2024 23:22 PM

मंदिर

आगामी त्योहार