भगवान श्री गणेश को समर्पित
सारसबाग गणपती मंदिर का एक सुंदर एवं समृद्ध ऐतिहासिक अतीत है। मंदिर के प्रमुख आराध्य श्री गणेश को श्री सिद्धिविनायक कहा जाता है, क्योंकि इसकी सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई है। मंदिर एक झील के बीच में द्वीप के ऊपर स्थिति होने के कारण,
तळ्यातला गणपति के नाम से भी लोकप्रिय है।
आइए जानें सारसबाग के समृद्ध ऐतिहासिक अतीत के बारे में - 18 वीं शताब्दी में पार्वती हिल्स / पहाड़ी पर श्री देवदेवेश्वर मंदिर के पूर्ण होने के तुरंत बाद, श्रीमंत बालाजी बाजीराव ने सौंदर्यीकरण के विस्तार के रूप में पार्वती हिल्स की तलहटी में एक झील बनाने का विचार किया। और श्री बालाजी बाजीराव के स्वप्न को अपना ध्येय मानकर श्रीमंत नानासाहेब पेशवा ने इसे पूरा किया। इस झील के बीच में लगभग 25 एकड़ क्षेत्र का एक द्वीप सुरक्षित रखा गया। कुछ वर्षों के उपरांत, इस द्वीप पर एक सुंदर बगीचा बनाया गया। सन् 1784 में श्रीमंत सवाई माधवराव पेशवा ने सारसबाग में एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया और श्री सिद्धिविनायक गजानन की मूर्ति को स्थापित कराया।
पार्वती मंदिर से थोड़ी दूर होने के कारण, यह मंदिर 18वीं और 19वीं शताब्दी में निजाम और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ मराठों द्वारा सैन्य रणनीति चर्चा व क्रियान्वयन के लिए भी इस्तेमाल किया गया। पेशवा, उनके कमांडर तथा सलाहकार मुद्दे और योजनाओं पर चर्चा करने केलिए अफ्रीकी मूल निवासियों द्वारा संचालित गोपनीयता ढंग से नाव से झील में जाया करते थे। नाव चलाने के लिए गैर-मूल निवासियों को इसलिए चुनते थे क्योंकि वह स्थानीय मराठी भाषा को न समझ सकें। प्रारंभिक प्रारूप के अनुसार बगीचे में जगह नहीं थी और केंद्र में एक झील व एक छोटा मंदिर था। तथा मंदिर को तळ्यातला गणपति (झील में गणेश मंदिर) कहा जाता था।
मंदिर के मुख्य पीठासीन देवता श्री गणेश की मूर्ति छोटी जरूर है, लेकिन बहुत सुंदर, दिव्य तथा सफेद आभा रूप में है। मूल मूर्ति कुरुद पत्थर की बनी हुई थी। प्रारंभिक मूर्ति को दो बार बदल दिया गया है, एक बार सन् 1882 में और दूसरी बार सन् 1990 में। वर्तमान सफेद संगमरमर से बनी श्री गणेश की छोटी सी मूर्ति राजस्थानी कारीगरों द्वारा तैयार की गई है। छोटी सी मूर्ति होने पर भी, मंदिर को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि, कोई भी बाहर सड़क पर पैदल, चलती कार या बस से लगभग 600 मीटर की दूरी होने पर भी विग्रह के दर्शन कर सकता है।
सन् 1995 में मंदिर परिसर के पीछे एक छोटे से संग्रहालय को बनाया गया है, जिसमें भगवान श्री गणेश की हज़ारों आकृतियाँ और रूप की प्रतिमाएँ रखी गईं हैं। संग्रहालय में प्रवेश के लिए 5 रुपये का एक मामूली शुल्क रखा गया है। पुरानी झील अब मंदिर के चारों ओर पक्के तालाब में परवर्तित कर दी गई है। तालाब में जल जीव जैसे मछलियाँ, कछुए और बगुलों के साथ अन्य जीव भी आसानी से देखे जा सकते हैं। तालाब में कमल के फूल उसकी शोभा को और भी बढ़ा देते हैं।
सारसबाग गणपति मंदिर श्री देव देवेश्वर संस्थान, पार्वती और कोथरुड के तत्वावधान में चलाया जाता है। पुणे और दुनिया भर में लाखों भक्तों के लिए यह मंदिर एक पवित्र भूमि है। औसतन सारसबाग मंदिर में प्रतिदिन दस हजार भक्त गणपति के दर्शन करते हैं। प्रतिदिन का यह आंकड़ा गणेश चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के अवसरों पर अस्सी हजार भक्तों तक पहुँच जाता है। गणेश चतुर्थी के शुभ दिन पर मंदिर परिसर में एक मेले का आयोजन भी किया जाता है।
प्रचलित नाम: तळ्यातला गणपती मंदिर
बुनियादी सेवाएं
Prasad, Pasad Shop, Drinking Water, Music System, Water Cooler, Sitting Benches, Power Backup, CCTV Security, Office, Shoe Store, Washrooms, Gift Shop, Museum, Garden, Lake, Children Park, Paid Parking
पता 📧
Survey no 2170, Saras Baug Rd, Opp. Nehru Stadium, Sadashiv Peth Pune Maharashtra