रेणुकाजी मंदिर नाहन, हिमाचल प्रदेश में एक लोकप्रिय हिंदू धार्मिक स्थल है। माना जाता है कि देवी रेणुका देवी दुर्गा का अवतार हैं। रेणुकाजी मंदिर दर्शन के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
रेणुकाजी मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
इस मंदिर का निर्माण 1814 में ऋषि जमदग्नि की पत्नी और परशुराम की मां देवी रेणुका की याद में किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि परशुराम अपना जीवन अपनी मां के चरणों में बिताना चाहते थे और यही कारण है कि मां-बेटे की जोड़ी हर साल वार्षिक रेणुका मेले की शुरुआत के दौरान मिलती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नी रेणुका से निराश हो गये। परिणामस्वरूप उसने अपने पुत्र परशुराम को अपनी माँ का सिर काटने का आदेश दिया। परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन किया और उसी स्थान पर अपनी माता का वध कर दिया। एक अन्य किंवदंती में वर्णित है कि जब राजा सहस्त्रार्जुन देवी रेणुका का अपहरण कर रहा था, तो वह झील पर कूद पड़ी, जिसे आज रेणुका झील कहा जाता है। कथित तौर पर 19वीं सदी की शुरुआत में गोरखाओं की आक्रमणकारी सेना द्वारा रातोंरात बनाया गया, रेणुकाजी का मूल मंदिर यहीं है।
भगवान परशुराम के मंदिर को प्राचीन काल से ही देवी के नाम से पुकारा जाता है। कुछ वर्ष पहले भगवान परशुराम के मंदिर का दक्षिण शैली में जीर्णोद्धार किया गया था।
रेणुकाजी मंदिर दर्शन का समय
रेणुकाजी मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक है।
रेणुकाजी मंदिर के प्रमुख त्यौहार
रेणुकाजी मंदिर में प्रबोधिनी एकादशी की पूर्व संध्या पर, हिमाचल में रेणुका झील, जिसे देवी का निवास स्थान माना जाता है, में रेणुका के पुत्र, परशुराम के आगमन के धार्मिक अनुष्ठान के साथ पांच दिवसीय रेणुका मेला शुरू होता है। मां-बेटे का मिलन देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
रेणुकाजी मंदिर तक कैसे पहुँचें?
रेणुकाजी मंदिर, नाहन, हिमाचल प्रदेश में सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह दिल्ली से 315 किमी दूर है और निकटतम रेल स्टेशन अम्बाला (95 किमी) देहरादून (105 किमी) और चंडीगढ़ (95 किमी) में है। निकटतम हवाई अड्डे चंडीगढ़ और देहरादून हैं।
प्रचलित नाम: रेणुकाजी मंदिर