रणकपुर जैन मंदिर जिसे
चतुर्मुख धारणा विहार के नाम से भी जाना जाता है, तीर्थंकर ऋषभनाथ को समर्पित एक जैन मंदिर है। यह जैन संस्कृति के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। इसे जैनियों के लिए 5 सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। मंदिर का नाम पाली जिले के रणकपुर नामक गाँव से लिया गया है, जो राजस्थान में उदयपुर और जोधपुर के बीच स्थित है।
मंदिर के निकट अन्य प्रसिद्ध स्थानों में रणकपुर बाँध एवं आरटीडीसी होटल शिल्पी रणकपुर प्रमुख हैं।
रणकपुर जैन मंदिर में प्रतिष्ठित देवता और वास्तुकला
आदिनाथ,
नेमिनाथ,
पार्श्वनाथ,
सूर्य और
अम्बा माता आदि देवताओं की पूजा की जाती है। इनमें आदिनाथ मंदिर, चौमुखा, सबसे प्रसिद्ध है। यह अरावली पर्वतमाला में एक असाधारण सुंदर मंदिर है।
मुख्य मंदिर चौमुख या आदिनाथी को समर्पित चार मुख वाला मंदिर है। उसी परिसर में तीन अन्य जैन मंदिर, जिनमें
सूर्य भगवान का मंदिर भी शामिल है, सभी देखने लायक हैं। मंदिर परिसर से एक किलोमीटर दूर अम्बा माता का मंदिर है।
मंदिर की सबसे आकर्षक विशेषताओं में से एक, स्तंभों के अलावा, पार्श्वनाथ की सुंदर नक्काशीदार मूर्ति है। इसे मार्बल के सिंगल स्लैब से बनाया गया है। रणकपुर जैन मंदिर सुखम नक्काशी कारीगरी के लिए जाना जाता है।
मुख्य त्यौहार:
महावीर जन्म कल्याणक जैन धर्म के साथ-साथ रणकपुर जैन मंदिर में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है। यह महावीर के जन्म का जश्न मनाता है।
प्रचलित नाम: रणकपुर जैन मंदिर, चतुर्मुख धारणा विहार