कैला मैया के भक्त माता के दर्शन हेतु
ग्वालियर के इसी रास्ते से होते हुए करौली जाया करते थे,
पहुआ-पहुआ अर्थात पैदल-पैदल जाते हुए भक्त यहाँ अल्प-विश्राम हेतु रुकते थे। माता के अनन्य भक्त एवं पथिक भक्तजन की सेवा करते करते, महाराज श्री ने यही एक मंदिर की स्थापना कर दी। आज यही कैला मैया को समर्पित मंदिर जनमानस के बीच
पहुआ वाली माता के मंदिर के नाम से ही प्रसिद्द है।
फागुन शुक्ल एकादशी को मंदिर में दो दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। चैत्र एवं शारदीय दोनों ही
नवरात्री के दौरान मंदिर में मेले जैसा वातावरण रहता है। तथा
महा-नवमी के दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
माता के मंदिर के साथ-साथ मंदिर परिसर में
बाबा भैरवनाथ तथा
भगवन शिव का धाम भी स्थापित है। भक्तों की श्रद्धा के अनुसार, मंदिर समिति वर्ष में एक-दो भगवत कथा का आयोजन कराती है। आज भी मंदिर की प्रमुख सेवा का दायित्व मुख्य रूप से संथापक परिवार की ओर ही क्रियान्वित है।
कैला मैया के दर्शन हेतु, भक्तों के लिए मंदिर सुवह 6 बजे ही खुल जाता है। इसके पश्चात् दोपहर 12 बजे बंद होकर शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक भक्तों के लिए मैया के दरबार खुले रहते हैं।
इस सबके बाद भी मंदिर परिसर में पंडित जी का मार्गदर्शन, कोई भी भक्त किसी भी समय पा सकता है। पहुआ वाली माता से लगभग 700 मीटर दूर आनंद नगर में ही यहाँ का सबसे प्रसिद्ध भगवान श्री कृष्ण का मंदिर,
गिरिराज धाम स्थित है।
प्रचलित नाम: पहुआ वाली माता मंदिर, श्री कैला देवी पहुआ वाली माता, प्राचीन सिद्ध मंदिर श्री कैला देवी पहुआ वाली माता
बुनियादी सेवाएं
Prasad, Prasad Shop, Water Cooler, Shoe Store, Power Backup, Washrooms, Sitting Benches, Music System, Parking