श्री राम भक्त बजरंगबली महाराज के अनन्य भक्त, पहले गुरु स्वामी तुलसीदास जी महाराज ने अपनी प्रेरणा स्वरूप
श्री राम मनोकामना सिद्ध हनुमान मंदिर को स्थापित किया।
नीली छतरी मंदिर के निकट, यमुना नदी के तट पर, सलीमगढ़ किले के बहादुर शाही गेट या गेट नंबर 2 पर स्थित है यह श्री हनुमान मंदिर।
मंदिर का इतिहास
पौराणिक कहानी के अनुसार, महंत स्वामी तुलसीदास जी महाराज को मुगल शासक औरंगज़ेब ने कोई चमत्कार दिखाने के लिए कहा। पर तुलसी दास जी बोले, कि मुझे कोई चमत्कार नही आता है, बस बजरंगबली की कृपा है और वो ही कुछ कर सकते हैं। और मुगल शासक की सेना ने उनको बंदीग्रह मे डाल दिया। अचानक से मुगल शासक को बंदरों का झुंड परेशान करने लगा, परेशान होकर औरंगज़ेब ने इस सब घटना का कारण जानना चाहा तो बताया गया, आपने या आपके सैनिकों ने किसी हनुमान भक्त को बहुत पीड़ा दी है।
अतः मुगल शासक ने स्वामी तुलसीदास महाराज को स-सम्मान छोड़ने की आज्ञा दी। महंत तुलसीदास हनुमान जी के मूर्ति साथ लेकर, किले के दरवाजे नंबर 2 से निकले ,और उसी के सामने यमुना किनारे हनुमान जी को स्थापित की। तभी से ये जगह पवित्र मनोकामना हनुमान भक्तों के लिए प्रिय हो गई।
प्रचलित नाम: श्री राम मनोकामना सिद्ध हनुमान मंदिर
बुनियादी सेवाएं
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