माँ शारदा मंदिर - Maa Sharda Mandir
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मुख्य आकर्षण - Key Highlights |
◉ माँ शारदा मंदिर देवी भवानी के शक्तिपीठों में से एक है। |
◉ मंदिर विन्ध्य पर्वत श्रेणियों के मध्य त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। |
◉ मान्यता है कि मां शारदा की प्रथम पूजा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। |
माँ शारदा मंदिर, मध्य प्रदेश के सतना जिले के ग्राम मैहर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि देवी शारदा देवी सरस्वती का अवतार हैं। यह मंदिर देवी भवानी के शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि देवी सती का हार मैहर में गिरा था। मान्यता है कि इस मंदिर की खोज दो भाइयों आल्हा और उदल ने की थी। विन्ध्य पर्वत श्रेणियों के मध्य त्रिकूट पर्वत पर स्थित इस मंदिर के बारे मान्यता है कि मां शारदा की प्रथम पूजा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी।
माँ शारदा मंदिर मैहर का इतिहास और वास्तुकला
माँ शारदा मंदिर, सतना जिला मुख्यालय से अनुमानित दूरी 40 किलोमीटर है मंदिर त्रिचूट पर्वत पर 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। तीर्थस्थल तक पहुंचने के लिए 1001 सीढ़ियों पर चढ़ना है। पिरामिडाकार त्रिकूट पर्वत में विराजीं मां शारदा का यह मंदिर 522 ईसा पूर्व का है। कहते हैं कि 522 ईसा पूर्व चतुर्दशी के दिन नृपल देव ने यहां सामवेदी की स्थापना की थी, तभी से त्रिकूट पर्वत में पूजा-अर्चना का दौर शुरू हुआ। ऐतिहासिक दस्तावेजों में इस तथ्य का प्रमाण प्राप्त होता है कि सन् (522 ईपू) चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नृपलदेव ने सामवेदी देवी की स्थापना की थी।
आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड के महोबा के वीर योद्धा और परमार के सामंत थे। कालिंजर के राजा परमार के दरबार में जगनिक नाम के एक कवि ने आल्हा खण्ड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की गाथा वर्णित है। इस ग्रंथ में दों वीरों की 52 लड़ाइयों का रोमांचकारी वर्णन है। आखरी लड़ाई उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ लड़ी थी।
मान्यता है कि शाम की आरती होने के बाद जब मंदिर के कपाट बंद करके सभी पुजारी नीचे आ जाते हैं तब यहां मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा करने की आवाज आती है। कहते हैं कि मां के भक्त आल्हा अभी भी पूजा करने आते हैं। अक्सर सुबह की आरती वे ही करते हैं। मैहर मंदिर के महंत बताते हैं कि अभी भी मां का पहला श्रृंगार आल्हा ही करते हैं और जब ब्रह्म मुहूर्त में शारदा मंदिर के पट खोले जाते हैं तो पूजा की हुई मिलती है। इस रहस्य को सुलझाने हेतु वैज्ञानिकों की टीम भी डेरा जमा चुकी है लेकिन रहस्य अभी भी बरकरार है।
मंदिर के ठीक पीछे इतिहास के दो प्रसिद्ध योद्धाओं व देवी भक्त आल्हा- ऊदल के अखाड़े हैं तथा यहीं एक तालाब और भव्य मंदिर है जिसमें अमरत्व का वरदान प्राप्त आल्हा की तलवार उसी की विशाल प्रतिमा के हाथ में थमाई गई है। गोलामठ मंदिर, 108 शिवलिंगों का रामेश्वरम मंदिर, हनुमान मंदिर अन्य धार्मिक केंद्र हैं।
माँ शारदा मंदिर दर्शन का समय
माँ शारदा मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है, सुबह 6:30 बजे से 8.00 बजे तक और शाम 4.00 बजे रात्रि 8:30 बजे तक खुला रहता है।
माँ शारदा मंदिर के प्रमुख त्यौहार
माँ शारदा मंदिर में नवरात्रि प्रमुख त्योहार है। दुनिया भर से भक्त विशेष रूप से रामनवमी और दशहरा के दौरान मंदिर में आते हैं।
माँ शारदा मंदिर कैसे पहुंचे
माँ शारदा मंदिर आप सीढ़ियों से या रोपवे से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मैहर शहर अच्छी तरह से राष्ट्रीय राजमार्ग 7 के साथ सड़क से जुड़ा हुआ है, आप आसानी से निकटतम प्रमुख शहरों से मैहर शहर के लिये नियमित बसें पा सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन जंक्शन - सतना स्टेशन से मैहर स्टेशन की दूरी 36 किलोमीटर है मैहर स्टेशन से कटनी स्टेशन की दूरी 55 किलोमीटर है जबलपुर से मैहर दूरी 150 किलोमीटर खजुराहो से मैहर दूरी 130 किलोमीटर इलाहाबाद से मैहर दूरी 200 किलोमीटर है।
व्यक्तिगत अनुभव
❀ यदि आप देवी शक्ति में विश्वास रखते हैं तो मंदिर अवश्य जाएँ। मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है और विंध्य पर्वत श्रृंखला के सुंदर दृश्यों से घिरा हुआ है, जो इसे न केवल पूजा स्थल बनाता है बल्कि एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बनाता है।
❀ यह पहाड़ की चोटी पर स्थित है और इसमें चढ़ने के लिए दो सुविधाएँ हैं, पहला सीढ़ी के माध्यम से (1000 से अधिक सीढ़ियाँ) और दूसरा रोपवे।
Maa Sharda Temple is located in village Maihar in Satna district of Madhya Pradesh. It is believed that Devi Sharda is the incarnation of Devi Saraswati. This temple is one of the Shaktipeeths of Devi Bhavani. जानकारियां - Information
दर्शन समय
6:30 AM - 8:30 PM
कैसे पहुचें - How To Reach
पता 📧
Maa Sharda Mandir Sahilara Madhya Pradesh
निर्देशांक 🌐
24.2612191°N, 80.7205815°E
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Updated: Feb 06, 2025 19:34 PM