श्री लिंगराज मंदिर को जगन्नाथ धाम पुरी का सहायक शिव मंदिर माना जाता है। जगन्नाथ धाम आने वाले प्रत्येक भक्त को अपनी धाम यात्रा को पूर्ण करने हेतु इस मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए। यहाँ आधे श्री विष्णु और आधे भगवान शिव का त्रिभुवनेश्वर रूप है, अतः इन्हें हरि-हर भी कहा जाता है।
मंदिर के प्रवेश द्वार के अंदर गरूण स्तंभ के समान एक विशाल त्रिशूल देखा जा सकता है। शिव के विभिन्न रूपों के साथ अन्य देवी-देवताओं के 108 छोटे-बड़े अन्य मंदिर भी मुख्य मंदिर के प्रांगण में स्थित हैं।
मंदिर मूल रूप से 6वीं शताब्दी में बनाया गया था, लेकिन इसे 11वीं शताब्दी में पूर्ण विकसित तरीके से पुनर्निर्मित किया गया था। मंदिर के उत्तर की ओर एक प्रसिद्ध
बिन्दुसागर है, जहाँ भगवान शिव द्वारा भारत की हर नदी, झील और धारा से लाया गया पवित्र जल प्राप्त किया जा सकता है।
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