कोठंडारामस्वामी मंदिर धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान श्री राम को समर्पित है। मंदिर को वैष्णव परंपरा के 108 अभिमान क्षेत्रों में से एक वर्गीकृत किया गया है। 1964 के विनाशकारी चक्रवात ने धनुषकोडी को पूर्ण रूप से विध्वंस कर दिया था, परन्तु यह मंदिर एकमात्र ऐतिहासिक संरचना थी जो इस चक्रवात मे बची रही।
कोठंडारामस्वामी मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
कोठंडारामस्वामी मंदिर, 500 साल पुराना है। मंदिर में राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान और विभीषण की मूर्तियाँ हैं। यह मंदिर समुद्र से घिरा हुआ है और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कोठंडारामस्वामी का मतलब है धनुषधारी भगवान राम।
ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर रावण के भाई विभीषण पहली बार भगवान राम से मिले थे और उनसे शरण मांगी थी। इस मंदिर की दीवारों पर रामायण की कई घटनाओं की तस्वीरें उकेरी गई हैं। वहीं, भगवान राम के मुख्य देवता को धनुष (कोठंदम) के रूप में दर्शाया गया है, जिसके कारण मंदिर का नाम कोठंडारामस्वामी रखा गया है।
यह एकमात्र मंदिर है जहां विभीषण को भी पूजा किया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि
स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के बाद इस स्थान का दौरा किया था।
कोठंडारामास्वामी मंदिर दर्शन का समय
मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक है।
कोठंडारामास्वामी मंदिर में प्रमुख त्यौहार
राम नवमी और हनुमान जयंती कोठंडारामस्वामी मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं।
कोठंडारामास्वामी मंदिर तक कैसे पहुँचें?
कोठंडारामस्वामी मंदिर
रामेश्वरम में स्थित है। यह मंदिर एक द्वीप पर स्थित है जो बंगाल की खाड़ी और मन्नार की खाड़ी से घिरा हुआ है, यह मंदिर रामेश्वरम से 13 किलोमीटर (8.1 मील) दूर स्थित है। यह स्थान बस और ट्रेन द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
प्रचलित नाम: धनुषकोडी मंदिर
बुनियादी सेवाएं
पेयजल, प्रसाद, सीसीटीवी सुरक्षा, जूता स्टोर, पार्किंग स्थल