अलीगढ़ रोड पर सासनी कस्बे के अंतर्गत
माँ काली का
प्राचीन कंकाली माता मन्दिर माता के भक्तों की आस्था एक प्रमुख केंद्र है। जन श्रुतियोन एवं मंदिर के पुजारी जी की कथाओं के आधार पर मालूम पड़ा कि इस मंदिर की स्थापना चरवाहों द्वारा की गई थी। मंदिर के पुजारी पंडित चरण सिंह बाबा के पूर्वज बताते थे कि राजस्थान से चरवाहे पशु लेकर हर साल यहाँ आते और यहाँ डेरा डाला करते थे।
एक दिन अचानक से सफाई तथा जमीन समतल करते समय खुदाई में यहाँ देवी माँ पिंडी रूप में अवतरित हुईं। जिन्हें पेड़ के नीचे रखकर उनके पूर्वजों ने पूजना प्रारंभ किया। मंदिर के नाम में कंकाली होने के पीछे दो अवधारणाएँ हैं,
प्रथम मत के अनुसार चरवाहों की कुल देवी कंकाली माता ही हैं अतः माता को कंकाली माता के नाम से पुकारा जाने लगा।
द्वितीय मत के अनुसार, कुछ लोग मानते हैं कि मंदिर पर कंकड़ जैसे निशान होने के कारण कंकाली देवी नाम रखा गया।
माँ कंकाली मंदिर के गर्भग्रह एवं उसके बाहर सैकड़ों
छोटे-बड़े-बहुत बड़े सभी आकर के
घंटे-घंटियाँ लटकी हुईं हैं, इन घंटे-घंटियों की मधुर गूँज उस वातावरण को और भी दैवीय बनती है। गर्भग्रह में माँ का मूल स्वरूप पिंडी रूप ही है, प्रायः पिंडी के ऊपर माता का मुकुट अथवा माता का विग्रह दर्शनार्थ स्थापित ही दिखता है।
प्रत्येक सोमवार को मंदिर के आस-पास मेले जैसा महोल होता तथा श्रद्धालुओं के उत्साह की तो पूछने की किया, उनका उत्साह सातवें आसमान पर होता है।
प्रचलित नाम: Kankaali Mata Mandir, Mata Kali, Kankali Devi, Kali temple in Aligarh
बुनियादी सेवाएं
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