संकट मोचन हनुमान जी, नरसिंह भगवान रूपी, सिद्धी दाता हनुमान जी, प्राचीन मनोकामना सिद्ध, पश्चिम मुखी, वीर रूपी श्री हनुमान मंदिर। रामानंदी चंदन रूपी विग्रह होने के कारण इन्हें
दर्शन रूपी हनुमान भी कहा जाता है। ज्यादा तर हनुमान जी दक्षिण मुखी होते हैं, और यहाँ हनुमान जी पश्चिम मुखी हैं इसलिए इन्हें वीर रूपी भी कहते हैं। मंदिर उतना ही पुराना है, जितना कि शेरगढ़ किला पुराना है।
किले का निर्माण जोधपुर के राजा महाराज मालदेव जी ने करवाया था। जिसके निर्माण का उल्लेख इतिहास मे कहीं नही मिलता है। बाद मे सन् 1540 मे शेरसाह सूरी ने इस किले का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण कराया था, इसलिए इसे शेरगढ़ का किला कहते हैं। कहा जाता है कि यहाँ शेरसाह सूरी कुछ समय के लिए रुके थे। किला की चार दीवारी 552 बीघा मे फैली हुई है. सन् 1804 गोहद मध्य प्रदेश के राजा राणा कीर्ति सिंह ने राजधानी बना कर, धोलपुर रियासत की शुरुआत की थी।
रियासत काल मे, मंदिर मे हर रोज हनुमान जी का सवामणी (50 KG) का भोग लगाया जाता था। अब ये मंदिर राजस्थान के देवस्थान विभाग के संरक्षण के अंतर्गत आता है। मंदिर की पूजा पुस्तैनी पुजारी के द्वारा की जाती है। श्री हनुमान जयंती को यहाँ काफ़ी बड़े मेला का आयोजन राज्य सरकार और भक्तों द्वारा मिल कर किया जाता है। काफ़ी मुस्लिम भक्तों की भी यहाँ मनोकामनाएँ पूर्ण हुई हैं, इसका उल्लेख मंदिर मे आसानी से मिल जाता है। मंदिर को शेरगढ़ किले वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है।
प्रचलित नाम: किले वाले हनुमान जी, दर्शन मुखी श्री हनुमान मंदिर
बुनियादी सेवाएं
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