पीताम्बरा पीठ के लिए प्रसिद्ध शहर दतिया में उदासीन संप्रदाय के परम पूज्य श्री श्री 1008 चैतन्य दास जी महाराज ने घने जंगलों के बीच श्री हनुमान जी के 4 वर्ष के बाल स्वरूप का मंदिर बना कर अपना आश्रम स्थापित किया और इसी आश्रम मेअत्यंत कठिन साधनाएँ के साथ तप किया, इसी पवित्र स्थान को आज
हनुमान गढ़ी के नाम से जाना जाता है।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को श्री चंद्र नवमी के नाम से जाना जाता है। यह
चंद्र नवमी उत्सव उदासीन संप्रदाय के प्रवर्तक एवं गुरुनानक देव जी के पुत्र
श्री चंद्र मुनि जी को समर्पित है। यह चंद्र नवमी महोत्सव मंदिर का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है।
मंदिर प्रांगण में श्री श्री 1008 चैतन्या दास जी महाराज के जलधारा तपस्या कुंड एवं अग्नि तपस्या कुंड तथा बाबा जी से जुड़ी हुई अन्य समिग्री संरक्षित की हुई हैं। जोकि मंदिर प्रसासन से अनुग्रह के पश्चात आम जन द्वार देखी जा सकती हैं। मंदिर प्रांगण में ही बाबाजी की विशाल वत्ताकार समधी स्थल बनाया गया है।
मंदिर मे प्रमुख आराध्या
श्री बाल हनुमंत लाल,
शिवलिंग रूप मे भगवान शिव,
माँ काली एवं
बाबा बालकनाथ जी विराजमान हैं। मंदिर का प्रांगण अत्यंत विशाल है, जिसमे पेड़-पौधे एवं हरियाली का विशेष ध्यान रखा गया है। मंदिर के साथ ही गौशाल एवं एक जल कुंड भी देखा जा सकता है।
प्रचलित नाम: श्री श्री 1008 चैतन्य दास जी महाराज आश्रम
बुनियादी सेवाएं
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