गुरू श्री द्रोणाचार्य मन्दिर जनपद गौतमबुद्धनगर (उ. प्र.) की तहसील सदर के अन्तर्गत दनकौर में स्थित है। भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 50 कि.मी. तथा उ. प्र. की राजधानी, लखनऊ से लगभग 484 कि0मी0 है। इस मन्दिर के अन्दर महाभारत काल का जीवंत इतिहास वर्तमान समय में भी मौजूद है। इस मन्दिर का इतिहास चमत्कारिक है।
सदियों से बसी द्रोन नगरी जिसे प्रारम्भ में द्रोणकौर के नाम से जाना जाता था। लेकिन बदलते परिवेश ने इस नगरी के नाम को भी परिवर्तित कर दिया वर्तमान में इस नगरी को द्रोणकौर नाम के स्थान पर दनकौर नाम से जाना जाता है। द्वापर युग से ही पुराणों तथा धार्मिक ग्रंथों में इस मन्दिर का विशेष महत्व रहा है। इस नगरी का नामकरण भी गुरू द्रोणाचार्य के नाम पर ही रखा गया था। मान्यता है कि यह नगरी जिसका सम्बन्ध द्वापर युग में जन्मे कौरव, पाण्डव, एकलव्य व गुरू द्रोणाचार्य से है।
उत्सव, व्रत एवं त्योहार
मंदिर में प्रत्येक रविवार को बाबा द्रोणाचार्य जी की विशेष पूजा एवं हवन का आयोजन किया जाता है, विशेष पूजा के उपरांत प्रसाद वितरण किया जाता है। मंदिर में
होली महोत्सव 3 दिन तक मनाया जाता है। इनके अतिरिक्त मंदिर में सभी छोटे बड़े त्योहार यथासमय मनाये जाते हैं।
वार्षिक मेला
मंदिर समिति द्वारा जन्माष्टमी से वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है जो अगले 10 दिन तक चलता है। मेले के अंतर्गत श्री द्रोण नाट्य मण्डल द्वारा विशाल रंग मंच पर धार्मिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, नाटक, नृत्य और अनेक मनोहर दृश्यावलियों सहित अनेक रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।
श्री राधा कृष्ण मंदिर
मंदिर के मुख्य श्री राधा कृष्ण जी के विग्रह मनमोहक लड्डू गोपाल के साथ बीच में विराजमान हैं, उसके तीनों तरफ भगवान श्री कृष्ण के तीन रूप क्रमशः गोवर्धन पर्वत धारण श्री कृष्ण, गोविन्द रूप श्री कृष्ण एवं श्री नाथ जी रूप हैं। साथ ही साथ चारों ओर पंचमुखी श्री हनुमान, बाबा द्रोणाचार्य, खाटूश्याम जी, माँ शेरावाली, तिरूपति बालाजी, श्री लक्ष्मी नारायण, माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी, रिद्धि सिद्धि के साथ श्री गणेश, श्री गौरी शंकर परिवार, श्री राम दरबार, साईं बाबा, वेद माता गायत्री, समस्त नव दुर्गा, श्री बाँकेबिहारी एवं बजरंगबली विराजमान हैं।
श्री शिव मंदिर
पीपल वृक्ष के निकट श्री शनि महारज के साथ सभी गणों के शिवलिंग स्थापित है। वार्षिक मेले का आयोजन आज से अर्थात जन्माष्टमी से लेकर अगले 10 दिन तक चलेगा। आप सभी भक्त सादर आमंत्रित हैं।
बाबा द्रोण मंदिर
बाबा द्रोणाचार्य की पुरातन मूर्ति और गर्भगृह के निकट गुरु श्री द्रोणाचार्य की ६ फुट विग्रह है, उनके निकट माँ संतोषी एवं माँ काली के छोटे छोटे मंदिर स्थापित है।
माँ भगवती मंदिर: परिक्रमा मार्ग के साथ माँ दुर्गा का मंदिर है।
माँ भगवती मंदिर के निकट श्री गौरी शंकर मंदिर, श्री गणेश मंदिर एवं श्री राम मंदिर स्थापित है।
प्रचलित नाम: श्री गुरु द्रोणाचार्य मंदिर
बुनियादी सेवाएं
Prasad, Drinking Water, CCTV Security, Office, Shoe Store, Washrooms, Parking, Garden, Hand Pump, Historical Pond