चौसठ योगिनी मितावली मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला का वृत्ताकार योजना वाला एक बहुत ही अनोखा और शानदार मंदिर है। आमतौर पर अधिकांश मंदिरों के शीर्ष शंक्वाकार शिखर के आकार होते हैं।
माना जाता है कि, भारत की संसद भवन इसी
योगिनी मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित है जोकि 1912-1913 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। परंतु भारतीय संसद भवन का मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित होने का कोई विश्वसनीय लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
मंडप के भीतरी घेरे में 17-17 स्तंभ, बाहरी घेरे में 64-64 स्तंभ हैं। मंदिर के आंतरिक भाग में कुल 5 परिक्रमा पथ हैं। सबसे बाहरी पथ के साथ 64 प्रकोष्ठ हैं, जिनमे अधिकतर में शिवलिंग विराजमान हैं परंतु किसी भी प्रकोष्ठ में योगिनी उपस्थिति नहीं है। इन्हीं 64 प्रकोष्ठों में योगिनियों की उपस्थित के कारण ही मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
योगिनी की पूजा तंत्र साधना के अंतर्गत सिद्धि प्राप्ति के लिए विशेष रूप से की जाती है। स्थानीय जन-धारणा के अनुसार, मंदिर में अभी भी कुछ तंत्र सिद्ध भक्त गुप्त रूप से साधना क्रियाओं को पूर्ण करने हेतु मंदिर में आते हैं।
मंदिर के आस-पास रेस्तरां अथवा भोजनालय की व्यवस्था ना के बराबर ही है। ऊपर मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों से होकर जाना होता है, सीढ़ियों की संख्या अधिक भी नही है एक साधारण फिट व्यक्ति 5 मिनट के भीतर ऊपर चढ़ सकता है, हालांकि कोई छाया न होने के कारण अत्यधिक धूप अथवा गर्म मौसम में अपने साथ पानी की सुविधा मुहैया कर के रखें। वैसे तो मंदिर के बिल्कुल नीचे ही
श्री राम जानकी मंदिर में छायादार वृक्ष एवं पीने के प्राकृतिक जल की सुविधा उपलब्ध है।
मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार के गाइड की सुविधा उपलब्ध नही है। यह मंदिर एमपी पर्यटन द्वारा प्रबंधित किया जाता है। नीचे के ओर मंदिर परिसर में पार्किंग की सीमित सुवधा ही उपलब्ध है। यह मंदिर
फोटोग्राफ़ी, ऐतिहासिक, वास्तुकला, पुरातत्व एवं सूर्योदय-सूर्यास्त पॉइंट का आनंद लेने के लिए बहुत अच्छी जगह है।
यह मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक के अंतर्गत आता है। मंदिर के गर्भगृह में कोई भी आधिकारिक पुजारी अथवा महंत नियुक्त नहीं है। मंदिर में कार्यरत सभी व्यक्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। के नियमित कर्मचारी ही हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा शिलालेख | चौसठ योगिनी मंदिर की वास्तुकला?
मितावली ग्राम की ऊँची पहाड़ियों पर निर्मित यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच
इकोत्तरसा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की भू योजना विशिष्ट है तथा भारत वर्ष में प्राप्त चौंसठ योगिनी मंदिरों की भू योजना के समान है, जिसमें प्रायः मुख्य मंदिर के चारों ओर वृत्ताकार में देव प्रकोष्ठ होते हैं।
मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व में है तथा इसके चारों ओर निर्मित प्रकोष्ठ जिनके सामने स्तंभों पर आधारित बरामदा है, बहुत छोटे-छोटे हैं। इन प्रकोष्ठों में से कुछ में शिवलिंग विद्धमान है। मध्य में एक ऊँची गोल
जगती पर मुख्य मंदिर है जिसके गर्भग्रह में शिवलिंग स्थापित है।
चौसठ योगिनी मंदिर किसने बनवाया?
अभिलेखीय साक्ष्य के आधार पर इस मंदिर का निर्माण महाराज देवपाल द्वारा 1323 ई. में कराया गया था। मंदिर की पहाड़ी की तलहटी में भारी भरकम आभूषणों युक्त आदमकद कुषाण कालीन पाषाण प्रतिमाएँ प्राप्त हुई है, जो वर्तमान में पुरातत्व संग्रहालय ग्वालियर किला, ग्वालियर में प्रदर्शित हैं।
चौसठ योगिनी मंदिर कहाँ है?
चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश में मोरेना जिले के मितावली गाँव की एक ऊँची सी पहाड़ी पर स्थित है।
प्रचलित नाम: इकोत्तरसा महादेव मंदिर