माँ बर्गाभिमा मंदिर जिसे कपालिनी (भीमरूपा) शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के तमलुक में स्थित है।
यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और इसे मां दुर्गा का 51वां शक्तिपीठ माना जाता है, जहां सती का बायां टखना गिरा था। मंदिर को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा एक विरासत स्थल घोषित किया गया है। हर साल हजारों भक्त मां काली का आशीर्वाद लेने आते हैं।
बरगाभीमा मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
बरगाभीमा मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। इस स्थान का उल्लेख महाभारत में उस स्थान के रूप में किया गया है जिसे भीम ने प्राप्त किया था। वर्तमान मंदिर बहुत पुराना नहीं है क्योंकि मध्य युग में बंगाल पर इस्लामी कब्जे के बाद इसका पुनर्निर्माण किया गया था। पुराने बांग्ला साहित्य में मंदिर का उल्लेख कई बार हुआ है। यह मंदिर बंगाली हिंदू और बौद्ध संस्कृति का मिश्रण है। इसी शक्ति परंपरा के कारण मिदनापुर जिले के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने यहां शपथ ली कि वे धर्म के मार्ग पर चलेंगे और सशस्त्र क्रांति की मदद से अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराएंगे।
प्रसिद्ध क्रांतिकारी खुदीराम बोस यहां पूजा करने आते थे।
बरगाभीमा मंदिर दर्शन का समय:
बरगाभीमा मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 1:30 बजे और दोपहर 3:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक है।
बरगाभीमा मंदिर में प्रमुख त्यौहार
दुर्गा पूजा, बंगाली नव वर्ष और काली पूजा, दिवाली इस मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं।
इस मंदिर में देवी बरगभिमा के लिए हर रोज प्रसाद तैयार किया जाता है और अधिकांश शक्ति मंदिरों की तरह, देवी का प्रसाद शाकाहारी नहीं होता है। यहां देवी का प्रसाद मांसाहारी है और उनके लिए एक प्रकार की मछली की भोग चढ़ाता है जो कि अनिवार्य है। बलि प्रथा अब समाप्त हो गई है, लेकिन अब यह साल में एक बार होती है।
बरगाभीमा मंदिर तक कैसे पहुँचें?
बरगाभीमा मंदिर, तमलुक स्थान पूर्व मेदिनीपुर जिले में है, जो कोलकाता से लगभग 87.2 किमी, खड़गपुर से 85 किमी दूर है, और NH-6 और दक्षिण पूर्वी रेलवे ट्रैक से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
प्रचलित नाम: Bargabhima Mandir, Kapalini Shaktipeeth, Bhimarupa
बुनियादी सेवाएं
पेयजल, प्रसाद, सीसीटीवी सुरक्षा, जूता स्टोर, पार्किंग स्थल