विनय पत्रिका: श्रीगणेश स्तुति (Vinay Patrika: Shri Ganesh Stuti)


राग बिलावल
॥ श्रीगणेश - स्तुति ॥
गाइये गनपति जगबंदन ।
संकर -सुवन भवानी नंदन ॥ १ ॥
सिद्धि-सदन, गज बदन, बिनायक ।
कृपा -सिंधु ,सिंधुसुंदर सब-लायक ॥ २ ॥

मोदक-प्रिय, मुद -मंगल -दाता ।
बिद्या-बारिधि,बुद्धि बिधाता ॥ ३ ॥

माँगत तुलसिदास कर जोरे ।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ ४ ॥
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विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..