🔱पशुपति व्रत - Pashupati Vrat
Pashupati Vrat Date: Monday, 14 July 2025
पशुपति व्रत भगवान भोलेशंकर को समर्पित है। जब आप बहुत सारी परेशानियों से घिरे हों और उन परेशानियों का आपको कोई निवारण बूझ नहीं रहा हो। और आप अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं पा रहे हों, तब यह व्रत अपनी मनोकामना पूर्ण अवश्य करेगा, अतः पशुपति व्रत को भगवान शंकर पर पूर्ण विश्वास रख कर ही करें।
पशुपति व्रत के नियम एवम् विधि -
पशुपति व्रत कब करें?
पशुपति व्रत को किसी भी महीने के सोमवार (चाहे वह कृष्ण पक्ष हो अथवा शुक्ल पक्ष) से प्रारंभ कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने के लिए किसी विशेष महीने का होना अनिवार्य नहीं है। केवल सोमवार का दिन होना आवश्यक है।
पशुपति व्रत को कितने सोमवार करना चाहिए?
इस व्रत को पांच सोमवार करने का विधान है। वैसे तो आपकी मनोकामना पांचवां सोमवार आने से पूर्व ही पूर्ण हो जाती है।अगर आप फिर से व्रत करने की सोच रहे हैं। तो एक सोमवार छोड़ कर व्रत करना प्रारंभ कर सकते हैं।
शुरुआत तिथि | किसी भी सोमवार को |
कारण | भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार |
उत्सव विधि | व्रत, अभिषेकम, भजन-कीर्तन |
Pashupati vrat is dedicated to Bholeshankar ji. When to do Pashupati vrat? How many Mondays should Pashupati vrat be observed? Pashupati Vrat Vidhi
पशुपति व्रत विधि
⦿ आप पशुपति व्रत जिस सोमवार से करना प्रारंभ कर रहे हैं। उस सोमवार को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर पांच सोमवार व्रत करने का संकल्प लें।
⦿ फिर आप अपने आस-पास के शिवालय (मंदिर) जाएं।
⦿ अपनी पूजा की थाली में (धूप, दीप, चंदन, लाल चंदन, विल्व पत्र, पुष्प, फल, जल) ले जाएं और शिव भगवान का अभिषेक करें।
⦿ इस थाली को घर आकर ऐसे ही रख दें।
⦿ जब आप साय के समय (प्रदोष काल) में स्वच्छ हो कर मंदिर जाएं तो इसी थाली में मीठा प्रसाद एवम् छः दिए(दीपक) घृत के लेके जाएं।
⦿ मीठे भोग प्रसाद को बराबर तीन भाग में बांट लें। दो भाग भगवान शिव को समर्पित करें बचा हुआ एक भाग अपनी थाली में रख लें।
⦿ इसी प्रकार आप जो छः दिए लाएं हैं उनमें से पांच दिए भगवान शिव के सम्मुख प्रज्वलित करें।
⦿ बिना जला बचा हुआ दिया अपनी थाली में रख घर वापस ले आएं, इसे घर में प्रवेश होने से पहले अपने घर के मुख्यद्वार के दाहिने ओर चोखट पर रख कर जला दें।
⦿ घर में प्रवेश करने के बाद एक भाग भोग प्रसाद को आप ग्रहण करें। इस प्रसाद को किसी और व्यक्ति को न दें।
⦿ इस व्रत में आप प्रसाद के साथ भोजन भी ग्रहण कर सकते हैं। हो सके तो मीठा भोजन ही करें।
पशुपति व्रत के नियम
जैसा कि शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक व्रत के अपने कुछ नियम होते हैं। वैसे ही इस व्रत के भी कुछ नियम हैं। जो इस प्रकार हैं -
इस व्रत को सोमवार के दिन ही किया जाता है।
❀ इस व्रत में सुबह और शाम (प्रदोष काल) में मंदिर जाना अनिवार्य है।
❀ किसी कारण आप व्रत करने में असमर्थ हैं। तो उस सोमवार को व्रत नहीं करना चाहिए।
❀ आप जिस मंदिर (शिवालय) में प्रथम सोमवार को गए हैं उसी मंदिर में पांचों सोमवार जाएं।
❀ साय के समय (प्रदोष काल) में पूजा का बहुत महत्व है।
❀ व्रत करने वाले को दिन में सोना नहीं चाहिए। भगवान शंकर का ध्यान करते रहना चाहिए।
❀ इस व्रत में आप दिन में फलाहार भी कर सकते हैं।
❀ यदि आप दुबारा व्रत करना चाहते हैं तो एक सोमवार छोड़ कर व्रत प्रारंभ कर सकते हैं।
❀ व्रत के दौरान श्रद्धानुसार दान भी करें।
पशुपति व्रत उद्यापन विधि
पशुपति व्रत को चार सोमवार तक दी गई विधि से पूजा अर्चन करें। जब पांचवां सोमवार हो उसको जब आप साय काल (प्रदोष काल) के समय मंदिर जाएं तब अपनी पूजा की थाली में भोग प्रसाद, 🪔 दिया, के साथ एक नारियल जिस पर ५- ७ बार मौली लपेटी हुई हो उसे भी ले जाएं। इसको भगवान शिव को चढ़ा दें। हो सके तो १०८ बिल्ब पत्र या १०८ पुष्पों से भोलेनाथ का श्रंगार करें। अपने श्रद्धानुशार दान करें।
संबंधित जानकारियाँ
आगे के त्यौहार(2025)
14 July 202521 July 202528 July 20254 August 2025
शुरुआत तिथि
किसी भी सोमवार को
मंत्र
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
कारण
भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार
उत्सव विधि
व्रत, अभिषेकम, भजन-कीर्तन
महत्वपूर्ण जगह
शिव ज्योतिर्लिंग, पशुपतिनाथ, नीलकंठ, बटेश्वर धाम, शिव मंदिर
पिछले त्यौहार
19 August 2024, 12 August 2024, 5 August 2024, 29 July 2024, 22 July 2024, 14 August 2023, 7 August 2023, 31 July 2023, 24 July 2023, 17 July 2023, 10 July 2023
Updated: Aug 20, 2024 06:22 AM
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पशुपति व्रत 2025 तिथियाँ
Festival | Date |
| 14 July 2025 |
| 21 July 2025 |
| 28 July 2025 |
| 4 August 2025 |