🐅नंदा अष्टमी - Nanda Ashtami
Nanda Ashtami Date: Sunday, 31 August 2025
नीति माणा घाटियों के कैलाशपुर, लाता और नीति गांवों में नंदा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार नंदा देवी की अपनी मां के घर की यात्रा का जश्न मनाता है और नंदा अष्टमी पर उनकी मां के घर से औपचारिक विदाई के साथ समाप्त होता है। देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत में नंदा देवी महोत्सव अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नंदा देवी के पीछे की कहानी:
पहाड़ियों की बेटी और भगवान शिव की पत्नी पार्वती को नंदा देवी के नाम से जाना जाता है। नंदा देवी उत्तराखंड की पहाड़ियों में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक है। सभी प्रमुख स्थानों पर कई नंदा मंदिर स्थित हैं जिनमें नीति मन घाटियों में लाता, नीति और बद्रीनाथ शामिल हैं।
ऐसा माना जाता है कि नंदा देवी योग माया है, जो कि जेल में कृष्ण की जगह लेने वाली बच्ची थी और कंस के हाथों से बच गई थी और उसे चेतावनी दी थी कि देवकी के पुत्र कृष्ण पहले ही पैदा हो चुके हैं और वह कंस के आतंक को खत्म कर देंगे।
संबंधित अन्य नाम | nanda ashtami, nanda devi mahotsav |
शुरुआत तिथि | भाद्र मास की शुक्ल अष्टमी |
कारण | माता पार्वती |
उत्सव विधि | भजन कीर्तन, झांकी,आरती,भंडारे |
The festival of Nanda Ashtami is celebrated in Kailashpur, Lata and Niti villages of Niti Mana valleys.
नंदा देवी मेला कब मनाया जाता है?
भाद्र मास की शुक्ल अष्टमी के अवसर पर नंदा देवी मेला तीन दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मेले की शुरूआत पंचमी तिथि से होती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मंदिर में दर्शन और मेला देखने के लिए आते रहते हैं।
नंदा देवी मेले का आयोजन कैसे होता है?
❀ नंदा देवी महोत्सव का आयोजन एक सप्ताह तक किया जाता है। पहले दिन मां नंदा-सुनंदा की मूर्ति बनाने के लिए चुने गए कदली वृक्षों को लाने के लिए जुलूस निकाला जाता है।
❀ दूसरे दिन कदली वृक्ष आ जाते हैं। इसके बाद विधि-विधान से मूर्तियां बनाई जाती हैं और अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में देवी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और शाम को देवी की पूजा करने के साथ ही आरती की जाती है और रात में देवी को प्रसाद चढ़ाया जाता है।
❀ इसके बाद अष्टमी के दिन डोला को उठाया जाता है, सजाया जाता है और पूरे नैनीताल में भ्रमण कराया जाता है, जिसमें हजारों भक्त देवी मां के जयकारे लगाते हैं।
❀ अंत में, देवी की मूर्तियों को पाषाण देवी मंदिर के पास विसर्जित किया जाता है।
मेले का आयोजन भव्य पैमाने पर किया जाता है, जिसके दौरान नैना देवी मंदिर, नैनीताल में दिन-रात भजन और कीर्तन भी किये जाते हैं। भक्त अपार श्रद्धा के साथ दर्शन के लिए आते हैं। नंदा देवी महोत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
संबंधित जानकारियाँ
शुरुआत तिथि
भाद्र मास की शुक्ल अष्टमी
उत्सव विधि
भजन कीर्तन, झांकी,आरती,भंडारे
पिछले त्यौहार
11 September 2024, 22 September 2023
Updated: Sep 12, 2024 05:38 AM
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