कूर्म जयंती एक हिंदू त्योहार है जोकि भगवान विष्णु के दूसरे अवतार भगवान कूर्म को समर्पित है। यह हिंदू महीने वैशाख की पूर्णिमा पर पड़ता है। इस दिन, भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) के रूप में अवतार लिया था। और उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान विशाल मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर उठा लिया था। भक्त इस दिन पूरे उल्लास और समर्पण के साथ धार्मिक रूप से पूजा करते हैं।
कूर्म जयंती का क्या महत्व है?
कूर्म जयंती हिंदू लोगों के लिए सबसे शुभ और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि कूर्म का रूप धारण करके भगवान विष्णु की सहायता के बिना क्षीरसागर पूरा नहीं होता। भगवान विष्णु एक विशाल कूर्म (कछुआ) के रूप में उभरे और मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया। इस प्रकार, कूर्म जयंती का दिन बहुत धार्मिक महत्व रखता है। किसी भी तरह के निर्माण कार्य की शुरुआत के लिए यह दिन शुभ माना जाता है।
शुरुआत तिथि | वैशाख की पूर्णिमा |
कारण | भगवान विष्णु |
उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा |
Updated: Sep 27, 2024 23:02 PM