Karwa Chauth Date: Friday, 10 October 2025
हिंदू सनातन पद्धति में करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्यौहार माना गया है। इस पर्व पर सुहागिन पतिव्रता महिलाएं हाथों में मेहंदी व सोलह श्रृंगार कर अपने सास-ससुर एवं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखतीं हैं। यह व्रत भारत के अलग-अलग राज्यों में वहाँ की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार रखा जाता है।
करवा चौथ शुभ मुहूर्त 2024 - रविवार, 20 अक्टूबर 2024 [दिल्ली]
करवा चौथ पूजा मुहूर्त - 5:46 PM से 7:02 PM
करवा चौथ चन्द्रोदय समय - 7:54 PM
अगर दक्षिण भारत से तुलना करें, करवा चौथ उत्तर भारत(पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश) में अधिक लोकप्रिय है। यदि दो दिन की चंद्रोदय व्यापिनी हो या दोनों ही दिन, न हो तो 'मातृविद्धा प्रशस्यते' के अनुसार करवा चौथ को पूर्वविद्धा लेना चाहिए।
करवा चौथ मे करवा को मिट्टी के बर्तन के रूप मे जाना जाता है, जबकि चौथ को माह के चौथे दिन के रूप मे। हिंदू कैलेंडर(पंचांग / पञ्चाङ्ग) के अनुसार यह त्यौहार कार्तिक के महिने के चौथे दिन मनाया जाता है।
आमतौर पर, माता-पिता इस दिन अपनी विवाहित बेटियों को गहने, कपड़े, उपहार भेंट करते हैं। सभी महिलाएं अपने विवाह को याद करते हुए, एक बार फिर से विवाह की ही तरह श्रृंगार करतीं हैं।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में करवा चौथ से जुड़ी कई कहानियाँ प्रचलित हैं। इस त्यौहार मे देवी पार्वती एवं भगवान शिव की पूजा करते हुए, उन्हें भोग अर्पित किया जाता है। करवा चौथ व्रत का समापन तब तक नहीं होता, जब तक कि रात मे चंद्रमा को अर्घ् ना दिया जाए। विवाहित महिलाएँ व्रत अनुष्ठान के समापन से पहले एक आध्यात्मिक कथा सुनती एवं सुनाती है।
करवा चौथ व्रत पूजा मे प्रयोग होने वाली वस्तुएँ इस प्रकार हैं:
पूजा थाली, लोटा, छलनी - पति को देखने के लिए, पूजा का दीपक, करवा माता का चित्र, करवा, सींक - माँ करवा की शक्ति का प्रतीक
संबंधित अन्य नाम | करक चतुर्थी |
शुरुआत तिथि | कार्तिक कृष्णा चतुर्थी |
कारण | विवाहित महिलाएं अपने सास-ससुर एवं पति की लंबी उम्र के लिए उपवास करती हैं। |
उत्सव विधि | व्रत कथाएँ, विवाहित महिलाओं द्वारा उपवास। |
In Hindu Sanatan Dharma, Karva Chauth / Karwa Chauth is considered as the most auspicious day for married women.
करवा चौथ पूजा विधि
❀ करवा चौथ के व्रत की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर करें और पूरे दिन निर्जल व्रत रखें। रात्रि में पूजा के समय सोलह श्रृंगार करके तैयार हो जाएं और दीवार पर करवा चौथ पूजा का चित्र लगाएं या बाजार से लाए कैलेंडर लगाएं।
❀ चावल के आटे में हल्दी मिलाकर एक चिह्न बना लें और इससे जमीन पर सात गोले बना लें। इस चित्र के ऊपर जमीन में बने इस चित्र को रखें और इस पर नया दीपक लगाएं।
❀ आप करवा में 21 सीवन डाल दें और करवा के अंदर खील बताशे, चूरा और साबुत अनाज डाल दें।
❀ करवा के ऊपर रखा दीपक जलाएं। इसके पास मैदा, मीठा हलवा, खीर, पकवान और भोग की सारी सामग्री रख दें।
❀ इस पूजा में मुख्य रूप से चावल के आटे का प्रसाद बनाया जाता है और इस प्रसाद को व्रत तोड़ते समय पानी के बाद सबसे पहले सेवन करना चाहिए।
❀ करवा के साथ-साथ आप सुहाग का सामान भी चढ़ा सकते हैं। यदि आप शहद चढ़ा रहे हैं तो सोलह श्रृंगार करें। करवा पूजन के साथ ही एक बर्तन में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। पूजा करते समय करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें।
❀ चांद निकलने के बाद पति को छलनी से देखें और फिर चांद देखें। चंद्रमा को जल चढ़ाएं और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।
*अगर आप यहां बताई गई विधि से करवा चौथ की पूजा करते हैं तो आपके पति के साथ अच्छे संबंध बने रहेंगे और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहेगी।
प्रचलित कथाएँ
1) साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी:
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।...
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2) द्रौपदी को श्री कृष्ण ने सुनाई शिव-पार्वती कथा:
एक बार अर्जुन नीलगिरि पर तपस्या करने गए। द्रौपदी ने सोचा कि यहाँ हर समय अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएं आती रहती हैं। उनके शमन के लिए अर्जुन तो यहाँ हैं नहीं, अत: कोई उपाय करना चाहिए। यह सोचकर उन्होंने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान किया।...
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3) पतिव्रता करवा धोबिन की कथा:
पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।...
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करवा चौथ में सरगी का महत्व
सरगी खाने के समान से सजी एक प्रकार की थाली होती है। जिसमें सुबह से पहले के खाद्य पदार्थ होते हैं जो विवाहित महिलाओं को अपनी सास या घर में किसी अन्य बुजुर्ग व्यक्ति से प्राप्त होते हैं। सरगी की थाली में खाने के अलावा 16 श्रृंगार की समाग्री, मेवा, फल, मिष्ठान इत्यादि होते हैं।
करवा चौथ के दिन सरगी को सास अपनी बहू को देती है। सास की अनुपस्थिति में इसे जेठानी या बहन भी सरगी दे सकती हैं। सरगी का प्रचलन प्रायः भारतीय पंजाबी समुदाय के बीच अधिक देखा जाता है।
सरगी खाने का शुभ मुहूर्त:
मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त में सरगी का सेवन करना चाहिए। करवा चौथ पर सूर्योदय से करीब 2 घंटे पहले सरगी खाएं।
सरगी खाने की विधि:
❀ प्रातः ब्रह्म मुहूर्त से भी पहले जाग जाएं तथा स्नान आदि से निवृत होकर साफ-सुथरे कपड़े पहने. एवं सास का आशीर्वाद लेकर सरगी ग्रहण करें।
❀ केवल सात्विक वस्तुएँ ही खाएं अन्यथा फल एवं मेवों का प्रयोग कर सकते हैं. सरगी में तेल-मसाले द्वारा निर्मित पकवाओं का सेवन ना करें।
❀ सरगी की थाली में आप मिष्ठान्न, फल, दूध, दही जैसी सात्विक चीजें रख सकती हैं।
संबंधित जानकारियाँ
शुरुआत तिथि
कार्तिक कृष्णा चतुर्थी
समाप्ति तिथि
कार्तिक कृष्णा चतुर्थी
कारण
विवाहित महिलाएं अपने सास-ससुर एवं पति की लंबी उम्र के लिए उपवास करती हैं।
उत्सव विधि
व्रत कथाएँ, विवाहित महिलाओं द्वारा उपवास।
महत्वपूर्ण जगह
घर एवं मंदिर
पिछले त्यौहार
20 October 2024, 1 November 2023, 13 October 2022, 24 October 2021, 4 November 2020, 17 October 2019
Updated: Oct 20, 2024 06:41 AM
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