भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि का अवतरण कलियुग के अंत में होगा, भगवान कल्कि के इस अवतरण दिवस को कल्कि जयंती के नाम से जाना जाता है।
कलयुग के अंत में जब पृथ्वी पर पाप बहुत अधिक बढ़ जाएगा, तब दुष्टों के संहार के लिए भगवान विष्णु, कल्कि अवतार में प्रकट होंगे। कल्कि को भगवान विष्णु का अंतिम अवतार माना गया है। भगवान कल्कि का अवतार कलियुग तथा सतयुग के संधिकाल में होगा। भगवान कल्कि के घोड़े का नाम देवदत्त होगा, एवं उनके गुरु परशुराम होंगे।
कल्कि अवतार का उल्लेख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित ऐतिहासिक सिख ग्रंथ दसम ग्रंथ के चौबिस(24) अवतार खंड में भी मिलता है।
श्रीजयदेव गोस्वामी द्वारा रचित श्रीगीतगोविन्दम के श्री दशावतार स्तोत्र में भी भगवान कल्कि को श्रीहरि का दसवाँ अवतार बताया गया है।
म्लेच्छ-निवह-निधने कलयसि करवालम्
धूमकेतुम् इव किम् अपि करालम्
केशव धृत-कल्कि-शरीर जय जगदीश हरे ॥10॥
अर्थात: हे जगदीश्वर श्रीहरे ! हे केशिनिसूदन ! आपने कल्किरूप धारणकर म्लेच्छोंका विनाश करते हुए धूमकेतुके समान भयंकर कृपाणको धारण किया है। आपकी जय हो ॥
श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद के अनुसार
सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।
संबंधित अन्य नाम | कल्कि जयंती |
शुरुआत तिथि | श्रावण शुक्ल षष्ठी |
कारण | भगवान कल्कि का अवतरण दिवस |
उत्सव विधि | भजन, कीर्तन |
Updated: Sep 28, 2024 12:03 PM