Jitiya Date: Monday, 15 September 2025
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की कृष्ण अष्टमी को सुहागन स्त्रियां द्वारा जितिया व्रत रखा जाता है। मान्यता के अनुसार जितिया व्रत करने से संतान को सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है। जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका एवं जिउतिया व्रत भी कहा जाता है।
जितिया व्रत के अंतर्गत व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करतीं हैं। व्रत पारण के समय करने के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात ही अन्न को ग्रहण करती हैं। जितिया व्रत का पारण प्रायः अगले दिन अर्थात नवमी तिथि को ही होता है। जितिया व्रत की परंपराएँ छठ पूजा की तरह ही मिलती-झुलती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में बड़ी ही प्रमुखता से मनाया जाता है।
संबंधित अन्य नाम | जीवितपुत्रिका व्रत, ज्यूतिया व्रत |
शुरुआत तिथि | आश्विन कृष्ण अष्टमी |
कारण | संतान के सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु हेतु। |
उत्सव विधि | व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, नदी स्नान। |
According to the Hindu calendar, every year on Krishna Ashtami of the month of Ashwin, married women keep the fast of Jitiya. Jitiya Vrat is also known as Jivitputrika and Jiutiya Vrat.
पौराणिक कथा
जितिया व्रत की प्रथम कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक गरुड़ और एक मादा लोमड़ी नर्मदा नदी के पास एक हिमालय के जंगल में रहते थे।...
जितिया व्रत की दूसरी कथा:
जितिया व्रत की कथा महाभारत काल की घटना से जुड़ी है। कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध में अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने की भावना से अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में घुस गया।...
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जितिया व्रत पूजा महत्व
सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका यानी जितिया पर्व का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है। साथ ही पुत्र को आरोग्य जीवन प्राप्त होता है। इस व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक अनवरत निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती के बच्चे तेजस्वी, ओजस्वी और मेधावी होते हैं।
जितिया व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को प्रातः काल 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 6 अक्टूबर को जितिया व्रत मनाया जाएगा।
जितिया व्रत पूजा विधि
❀ सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
❀ स्नान आदि करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं।
❀ धूप, दीप आदि से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं।
❀ मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं।
❀ कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें।
❀ विधि- विधान से पूजा करें और व्रत की कथा अवश्य सुनें।
❀ व्रत पारण के बाद दान जरूर करें।
संबंधित जानकारियाँ
शुरुआत तिथि
आश्विन कृष्ण अष्टमी
समाप्ति तिथि
आश्विन कृष्ण अष्टमी
कारण
संतान के सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु हेतु।
उत्सव विधि
व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, नदी स्नान।
महत्वपूर्ण जगह
घर, नदी घाट।
पिछले त्यौहार
25 September 2024, 6 October 2023, 18 September 2022, 29 September 2021
Updated: Sep 27, 2024 15:41 PM
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