झूलन यात्रा भगवान श्री कृष्ण के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो श्रावण के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार जुलाई-अगस्त की अवधि में आता है। यह वैष्णवों का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय धार्मिक अवसर है। सजे-धजे झूलों, गीत और नृत्य के शानदार प्रदर्शन के लिए जाना जाने वाला, झूलन भारत में बारिश के मौसम में उत्साह के साथ मिलकर राधा कृष्ण के प्यार का जश्न मनाने वाला एक आनंदमय त्योहार है।
उत्सव का मुख्य स्थान:
भारत के सभी स्थानों में से मथुरा, वृंदावन, पुरी, मायापुर झूलन यात्रा समारोह के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं। झूलन यात्रा श्रावण (अगस्त) के महीने में, शुक्ल पक्ष (एकादशी) के ग्यारहवें दिन से लेकर पूर्णिमा के दिन (पूर्णिमा) तक मनाई जाती है, जिसे श्रावण पूर्णिमा कहा जाता है।, जो आमतौर पर रक्षा बंधन त्योहार के साथ मेल खाता है। हजारों कृष्ण भक्त दुनिया भर से पवित्र शहर मथुरा, वृंदावन, ओडिशा के पुरी और पश्चिम बंगाल के मायापुर में आते हैं। राधा और कृष्ण की मूर्तियों को वेदी से निकालकर भारी अलंकृत झूलों पर रखा जाता है, जो कभी-कभी सोने और चांदी से बने होते हैं। सभी भक्तजन झूला झुलाते हैं और भगवान के प्रेम में विभोर हो जाते हैं।
वृंदावन का श्री रूप-सनातन गौड़िया मठ, बांके बिहारी मंदिर और राधा-रमण मंदिर, मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर, जगन्नाथ पुरी का गौड़िया मठ, इस्कॉन मंदिर, गोवर्धन पीठ, श्री राधा कांत मठ, श्री जगन्नाथ बल्लव मठ और मायापुर का इस्कॉन मंदिर कुछ प्रमुख हैं। जहां यह त्योहार उनकी सबसे बड़ी भव्यता के साथ मनाया जाता है।
संबंधित अन्य नाम | झूलन पूर्णिमा |
शुरुआत तिथि | श्रावण शुक्ला एकादशी |
कारण | हिंदू धार्मिक त्योहार जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। |
उत्सव विधि | भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलना, झूला यात्रा। |
Updated: Sep 27, 2024 23:07 PM