जब भगवान श्री कृष्ण पौगंड अवस्था में पहुँचे, तब गोपाष्टमी के दिन नंद महाराजा ने गायों और श्रीकृष्ण जी के लिए एक समारोह किया। यह श्री कृष्ण और भाई बलराम के लिए गायों को पहली बार चराने के लिए ले जाने का दिन था। गोपाष्टमी, दीपावली के दौरान आने वाला प्रसिद्ध त्यौहार गोवर्धन पूजा के 7 दिन बाद मनाया जाता है।
गाय का दूध, गाय का घी, दही, छांछ यहाँ तक की मूत्र भी मनुष्य जाति के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। गोपाष्टमी त्यौहार हमें बताता हैं कि हम सभी अपने पालन के लिये गाय पर निर्भर करते हैं इसलिए वो हमारे लिए पूज्यनीय हैं। और हिन्दू संस्कृति, गाय को माँ का दर्जा देती हैं।
स त्वां कृष्णाभिषेक्ष्यामि गावं वाक्यप्रचोदितः ।
उपेन्द्रत्वे गवामिन्द्रो गोविन्दस्त्वं भविष्यसि ॥ [ विष्णु पुराण 5/12/12 ]
भावार्थ- हे कृष्ण! अब मैं गौऔं के वाक्यानुसार ही आपका उपेंद्र पद पर अभिषेक करूँगा तथा आप गौऔं के इंद्र हैं, इसलिए आपका नाम गोविंद भी होगा।
संबंधित अन्य नाम | गौ अष्टमी, गोपाल अष्टमी |
शुरुआत तिथि | कार्तिक शुक्ला अष्टमी |
कारण | भगवान श्री कृष्ण का किशोर अवस्था में आना। |
उत्सव विधि | गौ पूजा, भजन-कीर्तन, नाच-गाना |
Updated: Sep 27, 2024 12:44 PM