🐮गोपाष्टमी - Gopashtami

Gopashtami Date: Thursday, 30 October 2025

जब भगवान श्री कृष्ण पौगंड अवस्था में पहुँचे, तब गोपाष्टमी के दिन नंद महाराजा ने गायों और श्रीकृष्ण जी के लिए एक समारोह किया। यह श्री कृष्ण और भाई बलराम के लिए गायों को पहली बार चराने के लिए ले जाने का दिन था। गोपाष्टमी, दीपावली के दौरान आने वाला प्रसिद्ध त्यौहार गोवर्धन पूजा के 7 दिन बाद मनाया जाता है।

गाय का दूध, गाय का घी, दही, छांछ यहाँ तक की मूत्र भी मनुष्य जाति के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। गोपाष्टमी त्यौहार हमें बताता हैं कि हम सभी अपने पालन के लिये गाय पर निर्भर करते हैं इसलिए वो हमारे लिए पूज्यनीय हैं। और हिन्दू संस्कृति, गाय को माँ का दर्जा देती हैं।

स त्वां कृष्णाभिषेक्ष्यामि गावं वाक्यप्रचोदितः ।
उपेन्द्रत्वे गवामिन्द्रो गोविन्दस्त्वं भविष्यसि ॥ [ विष्णु पुराण 5/12/12 ]
भावार्थ- हे कृष्ण! अब मैं गौऔं के वाक्यानुसार ही आपका उपेंद्र पद पर अभिषेक करूँगा तथा आप गौऔं के इंद्र हैं, इसलिए आपका नाम गोविंद भी होगा।

संबंधित अन्य नामगौ अष्टमी, गोपाल अष्टमी
शुरुआत तिथिकार्तिक शुक्ला अष्टमी
कारणभगवान श्री कृष्ण का किशोर अवस्था में आना।
उत्सव विधिगौ पूजा, भजन-कीर्तन, नाच-गाना
Read in English - Gopashtami
On Gopashtami Nanda Maharaja performed a ceremony for the cows and Shri Krishna when He reached the pauganda age.

गोपाष्टमी पर्व से जुडी प्रसिद्ध पौराणिक कथाएं!

पौराणिक कथा 1:
जब कृष्ण भगवान ने अपने जीवन के छठे वर्ष में कदम रखा। तब वे अपनी मैया यशोदा से जिद्द करने लगे कि वे अब बड़े हो गये हैं और बछड़े को चराने के बजाय वे गैया चराना चाहते हैं। उनके हठ के आगे मैया को हार माननी पड़ी और मैया ने उन्हें अपने पिता नन्दबाबा के पास इसकी आज्ञा लेने भेज दिया।

भगवान कृष्ण ने नन्द बाबा के सामने जिद्द रख दी कि अब वे गैया ही चरायेंगे। नन्द बाबा गैया चराने के मुहूर्त के लिए, शांडिल्य ऋषि के पास पहुँचे, बड़े अचरज में आकर ऋषि ने कहा कि, अभी इसी समय के आलावा कोई शेष मुहूर्त नहीं हैं अगले बरस तक। शायद भगवान की इच्छा के आगे कोई मुहूर्त क्या था। वह दिन गोपाष्टमी का था।

जब श्री कृष्ण ने गैया पालन शुरू किया। उस दिन माता ने अपने कान्हा को बहुत सुन्दर तैयार किया। मोर मुकुट लगाया, पैरों में घुंघरू पहनाये और सुंदर सी पादुका पहनने दी लेकिन कान्हा ने वे पादुकायें नहीं पहनी। उन्होंने मैया से कहा अगर तुम इन सभी गैया को चरण पादुका पैरों में बांधोगी तब ही मैं यह पहनूंगा। मैया ये देख भावुक हो जाती हैं और कृष्ण बिना पैरों में कुछ पहने अपनी गैया को चारण के लिए ले जाते। गौ चरण करने के कारण ही, श्री कृष्णा को गोपाल या गोविन्द के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक कथा 2:
ब्रिज में इंद्र का प्रकोप इस तरह बरसा कि लगातार बारिश होती रही, जिससे बचने के लिए श्री कृष्ण जी ने 7 दिन तक गोबर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली से उठाये रखा, उस दिन को गोबर्धन पूजा के नाम से मनाया जाने लगा।

गोपाष्टमी के दिन ही स्वर्ग के राजा इंद्र देव ने अपनी हार स्वीकार की थी, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने गोबर्धन पर्वत को अपनी उंगली से उतार कर नीचे रखा था। भगवान कृष्ण स्वयं गौ माता की सेवा करते हुए, गाय के महत्व को सभी के सामने रखा। गौ सेवा के कारण ही इंद्र ने उनका नाम गोविंद रखा।

पौराणिक कथा 3:
गोपाष्टमी से जुड़ी एक बात और ये है कि राधा भी गाय को चराने के लिए वन में जाना चाहती थी, लेकिन लड़की होने की वजह से उन्हें इस बात के लिए कोई हाँ नहीं करता था। जिसके बाद राधा को एक तरकीब सूझी, उन्होंने ग्वाला जैसे कपड़े पहने और वन में श्रीकृष्ण के साथ गाय चराने चली गई।

गोपाष्टमी पूजा विधि

❀ सुबह ही गाय और उसके बछड़े को नहलाकर तैयार किया जाता है। उसका श्रृंगार किया जाता हैं, पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं,अन्य आभूषण पहनायें जाते हैं।
❀ गौ माता के सींगो पर चुनड़ी का पट्टा बाधा जाता है
❀ सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गाय के चरण स्पर्श किये जाते हैं।
❀ गाय माता की परिक्रमा भी की जाती हैं। सुबह गायों की परिक्रमा कर उन्हें चराने बाहर ले जाते है।
❀ इस दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता हैं। कई लोग इन्हें नये कपड़े देकर तिलक लगाते हैं।
❀ शाम को जब गाय घर लौटती है, तब फिर उनकी पूजा की जाती है, उन्हें अच्छा भोजन दिया जाता है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता हैं।
❀ जिनके घरों में गाय नहीं होती है वे लोग गौ शाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढाते है, दिया जलाकर गुड़ खिलाते है। गौशाला में खाना और अन्य समान का दान भी करते है।
❀ औरतें कृष्ण जी की भी पूजा करती है, गाय को तिलक लगाती है। इस दिन भजन किये जाते हैं। कृष्ण पूजा भी की जाती हैं।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
कार्तिक शुक्ला अष्टमी
महीना
अक्टूबर / नवंबर
मंत्र
लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु॥
कारण
भगवान श्री कृष्ण का किशोर अवस्था में आना।
उत्सव विधि
गौ पूजा, भजन-कीर्तन, नाच-गाना
महत्वपूर्ण जगह
बरसाना, मथुरा, वृंदावन, ब्रज प्रदेश, गौशाला, श्री कृष्ण मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा, इस्कॉन मंदिर
पिछले त्यौहार
9 November 2024, 20 November 2023, 1 November 2022, 11 November 2021, 22 November 2020

Updated: Sep 27, 2024 12:44 PM

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