Durga Puja Date: Thursday, 16 October 2025
दुर्गा पूजा को माँ दुर्गा द्वारा दुष्ट राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्ति की खुशी में मनाया जाता है, इसलिए माँ को दुर्गतनाशिनी (भक्तों के संरक्षक) के रूप में पूजा जाता है। बंगाल, असम और ओडिशा में पूजा को पूजो के रूप में प्रख्यातित है।
महालया से उत्सव प्रारंभ होता है, इस दिन से मूर्तियों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाता है। परंतु वास्तविक पूजो महा षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयदशमी के रूप में परिभाषित की गयी है। दशहरे के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के साथ ही दुर्गा पूजा का समापन हो जाता है।
पश्चिमी बंगाल की दुर्गा पूजा को 15 दिसंबर 2021 को UNSCO में मानवता द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में सम्मिलित किया गया है। दुर्गा पूजा की यह विशेषता इस पर्व के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण भारतवर्ष के लिए गौरवान्वित का विषय है।
दुर्गा पूजा महत्व बिधि
दुर्गा पूजा पाँच दिनों तक मनाया जाता है। इन पाँच दिनों को षष्ठी, महासप्तमी, महाष्टमी, महानवमी और विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
महा षष्ठी - दुर्गा पूजा का दिन 2
9th अक्टूबर 2024 बुधवार
बिधि - कल्पारम्भ, अकाल बोधन
आमन्त्रण और अधिवास
महा सप्तमी - दुर्गा पूजा का दिन 3
10th अक्टूबर 2024 गुरूवार
बिधि - नवपत्रिका पूजा, कलाबोऊ पूजा
महा अष्टमी - दुर्गा पूजा का दिन 4
11 अक्टूबर 2024 शुक्रवार
बिधि - दुर्गा अष्टमी, कुमारी पूजा, सन्धि पूजा, महा नवमी
महा नवमी - दुर्गा पूजा का दिन 5
12 अक्टूबर 2024 शनिवार
बिधि - बंगाल महा नवमी, दुर्गा बलिदान, नवमी हवन, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
विजयदशमी - दुर्गा पूजा का दिन 6
13 अक्टूबर 2024 रविवार
बिधि - बंगाल विजयादशमी, बंगाल दुर्गा विसर्जन
सिन्दूर उत्सव
संबंधित अन्य नाम | दुर्गोत्सव, अकालबोधन (दुर्गा की असामयिक जागृति), शारदीय पुजो, शारदीयोत्सव (बंगाली: देवदेवब), महा पुजो, महापूजा, मायर पुजो (मां की पूजा), दुर्गतनाशिनी, शरदोत्सव |
शुरुआत तिथि | अश्विन शुक्ल षष्ठी |
उत्सव विधि | पंडाल, व्रत, मंत्र जाप। |
Durga Puja celebrates the victory of Goddess Durga over the evil demon Mahishasura therefore worshipped as Durgotinashini.
पहला दिन: महा षष्ठी
9 October 2024
दुर्गा पूजा(पूजो) देवी पक्ष के छठे दिन महा षष्ठी अनुष्ठान के साथ शुरू होती है और देश के पूर्वी हिस्सों में दुर्गा पूजा की औपचारिक शुरुआत होती है। यह वह दिन है जब हम मानते हैं कि मां दुर्गा कैलाश में अपने निवास से अपने बच्चों के साथ मायके लौटती हैं।
दुर्गा पूजा महा षष्ठी के महत्वपूर्ण अनुष्ठान क्या हैं?
1. कालपरम्भ (पूजा की शुरुआत)
2. बोधन (माँ दुर्गा की मूर्ति का अभिषेक),अनुष्ठान में मूर्ति के चेहरे का अनावरण शामिल है।
3. अमंत्रण (देवी को आमंत्रित करना) और अधिवास (घरों के पूजा क्षेत्र में देवी के निवास को पवित्र करना) - षष्ठी पर किया जाता है।
हर दिन पूजा की रस्में पुष्पांजलि तक उपवास के साथ शुरू होती हैं।
दूसरा दिन: महा सप्तमी
10 October 2024
सप्तमी की शुरुआत सुबह के समय केले के पेड़ को पवित्र जल में विसर्जित करने के साथ होती है। फिर पेड़ को साड़ी पहनाई जाती है और फूल, धूप और चंदन के लेप से पूजा की जाती है। इसे कोला बौ या 'केला (पौधा) दुल्हन' कहा जाता है। इसे भगवान गणेश के बगल में रखा जाता है, जो उनकी नवविवाहित पत्नी के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाता है।
नवपत्रिका पूजा: नौ पौधों का एक समूह गुच्छा जिसे नवपत्रिका कहा जाता है, जो की वास्तव में देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करता है। नवपत्रिका के बाद देवी दुर्गा को जगाने के लिए प्राण प्रतिष्ठा नामक एक और अनुष्ठान किया जाता है।
तीसरा दिन: महा अष्टमी
11 October 2024
महा अष्टमी त्योहार के आठवें दिन का प्रतीक है और इस शुभ दिन पर देवी दुर्गा के लिए कठोर उपवास के साथ पूजा करते हैं। इसकी शुरुआत महासन और षोडशोपचार पूजा से होती है। महा अष्टमी पूजा के दौरान देवी के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दिन अविवाहित कन्याओं की भी पूजा की जाती है। इसे 'कुमारी पूजा' के नाम से जाना जाता है।
दुर्गा अष्टमी पर मुख्य घटनाओं में से एक संधि पूजा है, जो उस समय आयोजित की जाती है जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि शुरू होती है। ऐसा माना जाता है कि देवी चामुंडा इस समय के आसपास राक्षसों चंड और मुंड को मारने के लिए प्रकट हुई थीं। संधि पूजा के दौरान मिट्टी के 108 दीपक जलाने की भी प्रथा है।
चौथा दिन: महा नवमी
12 October 2024
महा नवमी के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि यह वह दिन है जब देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। यह
नवरात्रि के पूरा होने से पहले और विजयदशमी से एक दिन पहले भक्ति का अंतिम दिन है। पहले पशु बलि कुछ दुर्गा पूजा समारोहों का एक हिस्सा था, लेकिन अब इसकी अनुमति नहीं है। तो इस परंपरा का पालन करने के लिए देवी को इस अनुष्ठान में एक सब्जी की बलि की पेशकश की जाती है।
देवी दुर्गा के भक्त नवमी पूजा के बाद
नवमी हवन करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।
पाँचवाँ दिन: दुर्गा विसर्जन
13 October 2024
विजयादशमी पांच दिनों के उत्सव के अंत का प्रतीक है। विजयादशमी पर 'घाट विसर्जन' के बाद, बंगाली महिलाएं मूर्ति पर सिंदूर लगाती हैं और फिर अच्छे भाग्य के लिए सिंदूर एक-दूसरे के चेहरे पर लगाती हैं जिसे
सिंदूर खेला कहा जाता है।
संबंधित जानकारियाँ
आगे के त्यौहार(2025)
16 October 202517 October 202518 October 202519 October 202520 October 202521 October 2025
शुरुआत तिथि
अश्विन शुक्ल षष्ठी
समाप्ति तिथि
अश्विन शुक्ल दशमी
प्रकार
बंगाल का सार्वजनिक अवकाश
उत्सव विधि
पंडाल, व्रत, मंत्र जाप।
महत्वपूर्ण जगह
माँ काली मंदिर, माँ काली पंडाल, कालीबाड़ी।
पिछले त्यौहार
12 October 2024, 30 September 2024
Updated: Oct 14, 2024 05:32 AM
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दुर्गा पूजा 2025 तिथियाँ
Festival | Date |
| 16 October 2025 |
| 17 October 2025 |
| 18 October 2025 |
Durga Ashtami, Kumari Puja Sandhi Puja | 19 October 2025 |
Maha Navami, Durga Balidan Navami Homa | 20 October 2025 |
Durga Visarjan, Vijayadashami Sindoor Utsav | 21 October 2025 |