🦚चम्पा षष्ठी - Champa Shashthi

Champa Shashthi Date: Saturday, 7 December 2024

चंपा षष्ठी व्रत भगवान शिव एवं माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। यह पर्व मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। चंपा षष्ठी को स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय जी को चंपा पुष्प अत्यंत प्रिय है, अतः इसे चंपा षष्ठी के नाम से जाना जाता है। स्कंद षष्ठी व्रत मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में अत्यधिक लोकप्रिय है। चंपा षष्ठी व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भी रखा जाता है।
षष्ठी तिथि 2023:
प्रारम्भ - 17 दिसम्बर 2023 5:33pm
समाप्त - 18 दिसम्बर 2023 3:13pm

एक अन्य मान्यता के अनुसार, यह त्यौहार भगवान शिव के माने गये अवतार खंडोबा जी को समर्पित है। भगवान शिव का यह खंडोबा रूप किसानों, चरवाहों और शिकारियों का स्वामी माना जाता है।

संबंधित अन्य नामस्कंद षष्ठी
शुरुआत तिथिमार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी
कारणमल्ल और मणि नाम राक्षसों का अंत। भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
उत्सव विधिहल्दी उत्सव, व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन।
Read in English - Champa Shashthi
Champa Shashthi fast is dedicated to Bhagwan Kartikeya. This festival is dedicated to Khandoba ji, an incarnation of Bhagwan Shiva.

प्रचलित कथा

एक कथा के अनुसार मल्ल और मणि नाम के दो राक्षस भाई हुआ करते थे। दोनों राक्षसों द्वारा संतों, देवताओं एवं जन-मानस के जीवन में अत्यधिक उत्पात मचाया गया था।

राक्षसों के आतंक से तंग आकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुँचे लेकिन भगवान विष्णु ने उनकी मदद के लिए ब्रह्मा जी के पास जाने को कहा। फिर, सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए, ब्रह्मा जी ने भी उनकी मदद करने से इनकार कर दिया।

सभी देवता भगवान शिव की ओर बढ़े और उन्हें सब कुछ बताया। तब, भगवान शिव ने राक्षसों को मारने के लिए खुद को विशाल योद्धा के रूप में खंडोबा अवतार लिया। यह योद्धा सोने और सूरज की तरह चमकता हुआ दिखाई देते थे।

इस योद्धा का चेहरा हल्दी से ढका हुआ था। इसके बाद भगवान शिव दोनों राक्षसों से युद्ध करने चले गए। जब मणि की मृत्यु होने वाली थी, तो उन्होंने खंडोबा को अपना सफेद घोड़ा दिया और अपने पूर्व कर्मों के लिए क्षमा मांगी, तथा वरदान माँगा कि जहाँ भगवान शिव की पूजा की जाती है, वहाँ उनके चरणों में उनकी भी उपस्थिति हो।

खंडोबा मंदिर

हल्दी उत्सव के लिए प्रसिद्ध खंडोबा मंदिर 100 सीढ़ियों की चढ़ाई वाली एक छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर के प्रांगण में स्थित दीपमाला यहाँ का सबसे मनमोहक दृश्य माना जाता है। हल्दी उत्सव से पहले यहाँ खंडोबा भगवान की शोभायात्रा भी निकाली जाती है।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी
समाप्ति तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी
महीना
नवंबर / दिसंबर
कारण
मल्ल और मणि नाम राक्षसों का अंत। भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
उत्सव विधि
हल्दी उत्सव, व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन।
महत्वपूर्ण जगह
खंडोबा मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, पुणे, महाराष्ट्र, कर्नाटक।
पिछले त्यौहार
18 December 2023, 29 November 2022, 9 December 2021, 20 December 2020

Updated: Sep 27, 2024 15:57 PM

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