⚙️बिहार पंचमी - Bihar Panchami

Bihar Panchami Date: Friday, 6 December 2024

विक्रम संवत 1562 में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्वामी हरिदास की सघन-उपासना के फलस्वरूप वृंदावन के निधिवन में श्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य हुआ। बिहारी जी के इस प्राकट्य उत्सव को बिहार पंचमी के नाम से जाना जाने लगा।

बिहार पंचमी के दिन ठाकुर जी के बाल रूप को पीत वस्त्र, श्रृंगार हेतु स्वर्ण आभूषण, विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प, मेवा-युक्त हलवा-खीर एवं 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। बिहार पंचमी के दिन श्री बांके बिहारी जी के प्राकट्य के साथ-साथ ही स्वामी हरिदास जी महाराज की बिहारीजी के प्रति अनन्य भक्ति को भी याद करने का दिन है।

स्वामी हरिदास जी का संक्षिप्त परिचय - विक्रम संवत 1560 में स्वामी हरिदास अपने पिता श्री आशुघीर जी से युगल-मंत्र की दीक्षा लेकर विरक्त होकर वृंदावन चले आए और यमुना-तट के सधन वन-प्रान्तर में जिस स्थान को अपनी साधना का केंद्र बनाया, आज यह स्थान निधिवन के नाम से विख्यात है। निधिवन की सघन कुंजें स्वामी हरिदास जी महाराज के मधुर गायन से गूँज उठीं।

संबंधित अन्य नामश्री बिहार पंचमी, बिहारी पंचमी
शुरुआत तिथिमार्गशीर्ष शुक्ला पञ्चमी
कारणश्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य दिवस।
उत्सव विधिपूजा, भजन-कीर्तन, भोग, प्रसाद।
Read in English - Bihar Panchami
Shri Banke Bihari Ji Maharaj appeared in the Nidhivan Vrindavan. This manifestation festival of Bihari Ji came to be known as Bihar Panchami.

श्री बांके बिहारी मंदिर में उत्सव

बिहार पंचमी के दिन मुख्य उत्सव निधिवन के बिहारी जी प्राकट्य स्थल अर्थात श्री बांके बिहारी मंदिर से प्रारंभ होता है।
❀ सुबह-सुबह श्री बांके बिहारी जी का अभिषेक किया जाता है।
❀ इस प्रक्रिया में श्री बांके बिहारी जी महाराज के प्रतीकात्मक पदचिन्हों को दूध, दही, शहद, घी और जल से स्नान कराया जाता है।
❀ अभिषेक प्रसाद अर्थात पंचामृत प्रसाद को भक्तों के बीच वितरित किया जाता है।
❀ निधिवन से श्री बांके बिहारी मंदिर तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।
❀ शोभायात्रा में बैंड, संगीत, सजे हुए हाथी, झंडे एवं दूर-दूर से आयी कीर्तन मंडली शामिल होती हैं।
❀ शोभायात्रा का नेतृत्व स्वामी श्री हरिदासजी, श्री विट्ठल जी एवं श्री गोस्वामी जगन्नाथजी महाराज के तीन रथ करते हैं।
❀ राजभोग (दोपहर 12 बजे) के समय तक शोभायात्रा, वृंदावन के मुख्य बाजारों से होकर श्री बांके बिहारी मंदिर तक पहुँचती है।
❀ मंदिर के अंदर संतों के विग्रहों का स्वागत किया जाता है उसके पश्चात बिहारी जी को राजभोग चढ़ाया जाता है।

भक्तों का मानना ​​है कि बिहारी जी इस दिन स्वामी हरिदास जी द्वारा स्वयं अपनी गोद में बैठे भोजन का आनंद लेते हैं। राजभोग आरती के बाद उत्सव के अंत में भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाता है। [Source: bihariji.org]

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ला पञ्चमी
समाप्ति तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ला पञ्चमी
महीना
नवंबर / दिसंबर
कारण
श्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य दिवस।
उत्सव विधि
पूजा, भजन-कीर्तन, भोग, प्रसाद।
महत्वपूर्ण जगह
श्री बांकेबिहारी मंदिर वृंदावन, सभी बांके बिहारी मंदिर, ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कोटा।
पिछले त्यौहार
17 December 2023, 28 November 2022, 8 December 2021

Updated: Nov 18, 2024 16:28 PM

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