बसव जयंती एक हिंदू त्योहार है जो कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लिंगायत बहुमत द्वारा बसवन्ना के जन्मदिन पर मनाया जाता है। प्रभु बसवन्ना लिंगायतवाद के संस्थापक थे और उनका जन्मदिन एक नए युग की शुरुआत पर माना जाता है, जिसे बसवन्ना युग या बसवेश्वर युग कहा जाता है। बसवेश्वर का जन्मदिन आमतौर पर वैशाख महीने के तीसरे दिन पड़ता है। बसव जयंती शुक्रवार, 10 मई 2024 को मनाई जाएगी।
बसव जयंती का उत्सव कैसे मनाया जाता है?
❀ इसे कर्नाटक में राजकीय अवकाश के रूप में घोषित किया जाता है। क्योंकि कर्नाटक में इसके बसवन्ना के अनुयायियों की एक बड़ी संख्या है।
❀ कर्नाटक में सभी शहरों और गांवों के लोग भव्य तरीके से जश्न मनाते हैं। इस दिन लोग भगवान बसवेश्वर के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
❀ लिंगायत समितियां विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती हैं और यह महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में आम बात है।
❀ लोग बसव जयंती पर मिठाइयों और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। बसवन्ना की शिक्षाओं को याद करने के लिए व्याख्यान होंगे।
❀ बहुत से लोग कुडलसंगम जाना पसंद करते हैं, जो 6-7 दिनों के लिए बसव जयंती मनाता है और कई सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित करता है।
14 नवंबर 2015 को, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के लैम्बेथ में टेम्स नदी के किनारे बसवन्ना की प्रतिमा का उद्घाटन किया।
शुरुआत तिथि | वैशाख महीने के तीसरे दिन |
कारण | प्रभु बसवन्ना |
उत्सव विधि | पूजा-अर्चना |
Updated: Apr 22, 2025 17:57 PM