⛏️बलराम जयन्ती - Balarama Jayanti

Balarama Jayanti Date: Thursday, 14 August 2025

पारंपरिक हिंदू पंचांग में हल षष्ठी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को समर्पित है। भगवान बलराम माता देवकी और वासुदेव जी के सातवें संतान थे। हल षष्ठी का त्योहार भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

रक्षा बंधन और श्रवण पूर्णिमा के छह दिनों के बाद बलराम जयंती मनाई जाती है। इसे राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, इसे गुजरात में चंद्र षष्ठी के रूप में जाना जाता है, और ब्रज क्षेत्र में बलदेव छठ को रंधन छठ के रूप में जाना जाता है। भगवान बलराम को शेषनाग के अवतार के रूप में पूजा जाता है, जो क्षीर सागर में भगवान विष्णु के हमेशा साथ रहिने वाली शैया के रूप में जाने जाते हैं।

संबंधित अन्य नामहल षष्ठी, ललही छठ, बलदेव छठ, रंधन छठ, हलछठ, हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ
शुरुआत तिथिभाद्रपद कृष्ण षष्ठी
कारण भगवान बलराम की जयंती
उत्सव विधिप्रार्थना, भजन, कीर्तन
Read in English - Balarama Jayanti
Hal Sashti is an important festival in the traditional Hindu calendar. It is dedicated to Lord Balaram who is an elder brother of Shri Krishna.

बलराम जयंती व्रत का महत्व

हिंदू धर्म और पुराणों के अनुसार, भगवान बलराम भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे। भगवान बलराम भी भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे। वह बहुत शक्तिशाली थे और अपनी शक्तियों से असुर धेनुका नामक विशाल राक्षस को ध्वस्त कर दिया था। कुछ हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, उन्हें महान नाग देवता आदि शेष का अवतार भी माना जाता है, वह नाग जिस पर भगवान विष्णु शयन करते थे। ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में शेषनाग ही बलराम के रूप में अवतरित हुए थे। भगवान बलराम वासुदेव और देवकी की सातवीं संतान हैं जिन्होंने कई राक्षसों का वध किया है और शक्ति और ताकत का प्रतीक हैं।

जो लोग भगवान बलराम की पूजा करते हैं और बलराम जयंती का दिन मनाते हैं, उन्हें अच्छे स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

बलराम जयंती व्रत की पूजा विधि क्या हैं?

❀ बलराम जयंती के दिन ब्रह्म बेला में उठकर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग शेषनाग को प्रणाम करें और पूजा की तैयारी शुरू करें।
❀ पूजा शुरू होने से पहले मंदिर को फूलों और पत्तियों से सजाया जाता है।
❀ भगवान कृष्ण और भगवान बलराम की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है और नए कपड़ों से सजाया जाता है।
❀ यह उत्सव उन सभी मंदिरों में मनाया जाता है जहाँ भगवान बलराम और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।
❀ इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को दोपहर तक कुछ भी खाने से परहेज किया जाता है।
❀ संतों और भक्तों द्वारा भगवान बलराम और भगवान कृष्ण की मूर्तियों को पंचामृत से पवित्र स्नान कराया जाता है
❀ भक्त विशेष भोजन और 'भोग' तैयार करते हैं जिसे देवता को चढ़ाया जाता है और फिर पवित्र भोजन के रूप में सभी परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के बीच वितरित किया जाता है।
❀ अब भगवान श्रीकृष्ण संग बलराम जी की पूजा विधि-विधान से करें। पूजा के अंत में आरती अर्चना कर सुख और समृ्द्धि की कामना करें।
❀ संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
भाद्रपद कृष्ण षष्ठी
समाप्ति तिथि
भाद्रपद कृष्ण षष्ठी
महीना
अगस्त / सितंबर
कारण
भगवान बलराम की जयंती
उत्सव विधि
प्रार्थना, भजन, कीर्तन
महत्वपूर्ण जगह
मथुरा, वृंदावन, ब्रजभूमि, श्री कृष्ण मंदिर, इस्कॉन मंदिर
पिछले त्यौहार
24 August 2024, 5 September 2023, 17 August 2022, 28 August 2021

Updated: Sep 27, 2024 15:43 PM

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