पूर्वी उत्तर प्रदेश, जिनमे प्रमुख शहर कानपुर, लखनऊ एवं वाराणसी में जेठ(ज्येष्ठ) मास में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। कहीं-कहीं भक्त इसे बूढ़े मंगल के नाम से भी जानते है।
इस दिन संकट मोचन श्री हनुमंत लाल की हनुमान तथा बालाजी मंदिर में पूजा, सुन्दर कांड पाठ, हनुमान चालीसा पाठ एवं हनुमान जी को चोला चढ़या जाता है। पूजा अर्चना के पश्चात, बड़ा मंगल के दिन हनुमान भक्त जगह-जगह चौराहे पर पंडाल लगाकर भंडारे, लस्सी, ठंडाई एवं प्याऊ की व्यवस्था करते हैं।
ज्येष्ठ माह में मनाये जाने वाला यह बड़ा मंगल मुख्य रूप से उन्नाव, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, राय बरेली एवं प्रयागराज जिलों में धूम-धाम से मनाया जाता है।
बुढ़वा मंगल तथा बड़ा मंगल मानाने के पीछे एक ही समान विचार, भावना और तर्क है। बस इन दोनों त्योहारों को मानाने का समय अलग-अलग स्थानों एवं विचारधारा में कुछ अलग-अलग है। बुढ़वा मंगल उत्तर भारत में भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को मनाया जाता है। वहीं कहीं-कहीं बड़ा मंगल को ही बूढ़े मंगल अथवा बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है।
संबंधित अन्य नाम | बूढ़ा मंगल |
शुरुआत तिथि | ज्येष्ठ का साप्ताहिक दिन मंगल |
उत्सव विधि | भंडारे, व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, हनुमान जी का चोला। |
Updated: Sep 28, 2024 12:00 PM
Festival | Date |
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प्रथम बूढ़ा मंगल | 13 May 2025 |
द्वितीय बूढ़ा मंगल | 20 May 2025 |
तृतीय बूढ़ा मंगल | 27 May 2025 |
चतुर्थ बूढ़ा मंगल | 3 June 2025 |
पंचम बूढ़ा मंगल | 10 June 2025 |