आधिक मास हिन्दू पंचांग में एक अतिरिक्त माहीने को कहा जाता है। आधिक-मास को प्रायः अशुभ महीना माना गया है, इस महीने में सभी प्रकार के शुभ कार्य करने पर प्रतिबंध होता है। इसे पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास भी कहा जाता है। बृजभूमि मे इस माह के कारण संपूर्ण वर्ष को लौंद वाला साल भी कहते हैं। ज्योतिष शस्त्र के अनुसार अधिक-मास प्रत्येक तीन वर्ष के बाद आता है, परंतु कौनसा हिन्दी माह अधिक होगा वह ज्योतिष गणना से ही निकाला जाता है।
क्यों होता है अधिक मास?
हिंदू पंचांग में 12 महीने होते हैं, जिनका आधार चंद्रमा की गति है। सूर्य कैलेंडर मे एक वर्ष 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है, जबकि हिंदू पंचांग चंद्रमा का एक वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनो कैलेंडर वर्ष के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर है। यह 11 दिन का अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इस अंतर को दूर करने के लिए, हर तीन साल के अंतराल में एक चंद्र महीना अस्तित्व में आता है। इस नये बढ़े हुए महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है। भगवान विष्णु की पूजा आदिक मास में की जाती है।
संबंधित अन्य नाम | मलमास, पुरुषोत्तम मास, लौंद का महिना |
शुरुआत तिथि | प्रतिपदा |
कारण | सूर्य एवं चंद्र महीने के बीच का संतुलन स्थापित करने हेतु। |
उत्सव विधि | भगवान श्री विष्णु पाठ एवं स्तुति। |
Updated: Sep 27, 2024 15:44 PM