अथ चौरासी सिद्ध चालीसा - गोरखनाथ मठ (Ath Chaurasi Siddh Chalisa)


दोहा -
श्री गुरु गणनायक सिमर,
शारदा का आधार ।
कहूँ सुयश श्रीनाथ का,
निज मति के अनुसार ।

श्री गुरु गोरक्षनाथ के चरणों में आदेश ।
जिनके योग प्रताप को ,
जाने सकल नरेश ।

चौपाई
जय श्रीनाथ निरंजन स्वामी,
घट घट के तुम अन्तर्यामी ।

दीन दयालु दया के सागर,
सप्तद्वीप नवखण्ड उजागर ।

आदि पुरुष अद्वैत निरंजन,
निर्विकल्प निर्भय दुःख भंजन ।

अजर अमर अविचल अविनाशी,
ऋद्धि सिद्धि चरणों की दासी ।

बाल यती ज्ञानी सुखकारी,
श्री गुरुनाथ परम हितकारी ।

रूप अनेक जगत में धारे,
भगत जनों के संकट टारे ।

सुमिरण चौरंगी जब कीन्हा,
हुये प्रसन्न अमर पद दीन्हा ।

सिद्धों के सिरताज मनावो,
नव नाथों के नाथ कहावो ।

जिनका नाम लिये भव जाल,
आवागमन मिटे तत्काल ।

आदि नाथ मत्स्येन्द्र पीर,
घोरम नाथ धुन्धली वीर ।

कपिल मुनि चर्पट कण्डेरी,
नीम नाथ पारस चंगेरी ।

परशुराम जमदग्नी नन्दन,
रावण मार राम रघुनन्दन ।

कंसादिक असुरन दलहारी,
वासुदेव अर्जुन धनुधारी ।

अचलेश्वर लक्ष्मण बल बीर,
बलदाई हलधर यदुवीर ।

सारंग नाथ पीर सरसाई,
तुङ़्गनाथ बद्री बलदाई ।

भूतनाथ धारीपा गोरा,
बटुकनाथ भैरो बल जोरा ।

वामदेव गौतम गंगाई,
गंगनाथ घोरी समझाई ।

रतन नाथ रण जीतन हारा,
यवन जीत काबुल कन्धारा ।

नाग नाथ नाहर रमताई,
बनखंडी सागर नन्दाई ।

बंकनाथ कंथड़ सिद्ध रावल,
कानीपा निरीपा चन्द्रावल ।

गोपीचन्द भर्तृहरी भूप,
साधे योग लखे निज रूप ।

खेचर भूचर बाल गुन्दाई,
धर्म नाथ कपली कनकाई ।

सिद्धनाथ सोमेश्वर चण्डी,
भुसकाई सुन्दर बहुदण्डी ।

अजयपाल शुकदेव व्यास,
नासकेतु नारद सुख रास ।

सनत्कुमार भरत नहीं निंद्रा,
सनकादिक शारद सुर इन्द्रा ।

भंवरनाथ आदि सिद्ध बाला,
ज्यवन नाथ माणिक मतवाला ।

सिद्ध गरीब चंचल चन्दराई,
नीमनाथ आगर अमराई ।

त्रिपुरारी त्र्यम्बक दुःख भंजन,
मंजुनाथ सेवक मन रंजन ।

भावनाथ भरम भयहारी,
उदयनाथ मंगल सुखकारी ।

सिद्ध जालन्धर मूंगी पावे,
जाकी गति मति लखी न जावे ।

ओघड़देव कुबेर भण्डारी,
सहजई सिद्धनाथ केदारी ।

कोटि अनन्त योगेश्वर राजा,
छोड़े भोग योग के काजा ।

योग युक्ति करके भरपूर,
मोह माया से हो गये दूर ।

योग युक्ति कर कुन्ती माई,
पैदा किये पांचों बलदाई ।

धर्म अवतार युधिष्ठिर देवा,
अर्जुन भीम नकुल सहदेवा ।

योग युक्ति पार्थ हिय धारा,
दुर्योधन दल सहित संहारा ।

योग युक्ति पंचाली जानी,
दुःशासन से यह प्रण ठानी ।

पावूं रक्त न जब लग तेरा,
खुला रहे यह सीस मेरा ।

योग युक्ति सीता उद्धारी,
दशकन्धर से गिरा उच्चारी ।

पापी तेरा वंश मिटाऊं,
स्वर्ण लङ़्क विध्वंस कराऊँ ।

श्री रामचन्द्र को यश दिलाऊँ,
तो मैं सीता सती कहाऊँं ।

योग युक्ति अनुसूया कीनों,
त्रिभुवन नाथ साथ रस भीनों ।

देवदत्त अवधूत निरंजन,
प्रगट भये आप जग वन्दन ।

योग युक्ति मैनावती कीन्ही,
उत्तम गति पुत्र को दीनी ।

योग युक्ति की बंछल मातू,
गूंगा जाने जगत विख्यातू ।

योग युक्ति मीरा ने पाई,
गढ़ चित्तौड़ में फिरी दुहाई ।

योग युक्ति अहिल्या जानी,
तीन लोक में चली कहानी ।

सावित्री सरसुती भवानी,
पारबती शङ़्कर सनमानी ।

सिंह भवानी मनसा माई,
भद्र कालिका सहजा बाई ।

कामरू देश कामाक्षा योगन,
दक्षिण में तुलजा रस भोगन ।

उत्तर देश शारदा रानी,
पूरब में पाटन जग मानी ।

पश्चिम में हिंगलाज विराजे,
भैरव नाद शंखध्वनि बाजे ।

नव कोटिक दुर्गा महारानी,
रूप अनेक वेद नहिं जानी ।

काल रूप धर दैत्य संहारे,
रक्त बीज रण खेत पछारे ।

मैं योगन जग उत्पति करती,
पालन करती संहृति करती ।

जती सती की रक्षा करनी,
मार दुष्ट दल खप्पर भरनी ।

मैं श्रीनाथ निरंजन दासी,
जिनको ध्यावे सिद्ध चौरासी ।

योग युक्ति विरचे ब्रह्मण्डा,
योग युक्ति थापे नवखण्डा ।

योग युक्ति तप तपें महेशा,
योग युक्ति धर धरे हैं शेषा ।

योग युक्ति विष्णू तन धारे,
योग युक्ति असुरन दल मारे ।

योग युक्ति गजआनन जाने,
आदि देव तिरलोकी माने ।

योग युक्ति करके बलवान,
योग युक्ति करके बुद्धिमान ।

योग युक्ति कर पावे राज,
योग युक्ति कर सुधरे काज ।

योग युक्ति योगीश्वर जाने,
जनकादिक सनकादिक माने ।

योग युक्ति मुक्ती का द्वारा,
योग युक्ति बिन नहिं निस्तारा ।

योग युक्ति जाके मन भावे,
ताकी महिमा कही न जावे ।

जो नर पढ़े सिद्ध चालीसा,
आदर करें देव तेंतीसा ।

साधक पाठ पढ़े नित जोई,
मनोकामना पूरण होई ।

धूप दीप नैवेद्य मिठाई,
रोट लंगोट को भोग लगाई ।

दोहा -
रतन अमोलक जगत में,
योग युक्ति है मीत ।

नर से नारायण बने,
अटल योग की रीत ।

योग विहंगम पंथ को,
आदि नाथ शिव कीन्ह ।

शिष्य प्रशिष्य परम्परा,
सब मानव को दीन्ह ।

प्रातः काल स्नान कर,
सिद्ध चालीसा ज्ञान ।

पढ़ें सुने नर पावही,
उत्तम पद निर्वाण ।
Source: gorakhnathmandir.in
Ath Chaurasi Siddh Chalisa - Read in English
Jai Ganesh Girija Suvan, Mangal Mool Sujan. Kahat Ayodhyadas Tum, Dehu Abhay Vardan ॥
Chalisa Shri Shiv ChalisaBholenath ChalisaMahadev ChalisaShiv ChalisaBholenath ChalisaMahadev ChalisaShivaratri ChalisaSavan ChalisaMonday ChalisaSomvar ChalisaSolah Somvar Chalisa
अगर आपको यह चालीसा पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

शिव चालीसा

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.. शिव चालीसा लिरिक्स के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न होते हैं

सूर्य चालीसा

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा लिरिक्स | जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा | बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

शनि चालीसा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुख दूर करि...

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥