24 जुलाई, 2021 को
गुरु पूर्णिमा मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा का पबित्र पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को हिन्दू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। भारत में इस दिन को बड़ी श्रद्धा के साथ गुरु की पूजा की जाती है। गुरु का महत्व बहुत पुराना है, धार्मिक शास्त्रों में भी बताया गया है। ईश्वर से श्रेष्ठ गुरु को माना जाता है, क्योंकि ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग गुरु ही दिखते हैं। ज्ञान की कल्पना गुरु के बिना नहीं की जा सकती। गुरु की कृपा से सब कुछ संभव हो जाता है।
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ - 23 जुलाई सुबह 10:43 बजे, शुक्रवार
तिथि समाप्त - 24 जुलाई सुबह 08:06 बजे, शनिवार
व्यास जयंती इस दिन मनाई जाती है
महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के पवित्र दिन ही हुआ था। इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। महान विद्वान व्यास संस्कृत महापंडित थे। महर्षि वेद व्यास हिंदू धर्म के 18 पुराणों का लेखक भी हैं। इसके साथ ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय कृष्ण द्वैपायन व्यास जी को भी जाता है, जिसके कारण उन्हें वेदव्यास भी कहा जाता है। महर्षि वेद व्यास आदिगुरु के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
संत कबीर, गुरु के महत्व का वर्णन करते हुए कहता की -
“गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥”
संस्कृत में गुरु को परम ब्रह्म बताया गया है-
“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः”