द्वारका पीठ के अगले शंकराचार्य कौन होंगे? (Who will be the next Shankaracharya of Dwarka Peeth?)

द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का रविवार दोपहर को निधन हो गया। स्वामीजी की देवलोक यात्रा के बाद उनके उत्तराधिकारी के नाम पर चर्चा तेज हो गई। उत्तराधिकारी की घोषणा के बाद संत समाज, द्वारका और ज्योतिष पीठ पर फैसला लेगा।
द्वारका पीठ के उत्तराधिकारी कौन हो सकता है?
उनके उत्तराधिकारी के तौर पर दो लोगों के नाम की काफी चर्चा है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, द्वारका और ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के उत्तराधिकारी थे। द्वारका शारदा पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में दांडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज का नाम सबसे आगे है। वहीं दांडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का नाम ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में चर्चित है। दोनों शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के मुख्य शिष्य माने जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उनके नाम पारंपरिक तरीके से वसीयत में रखे हैं।

कब स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी शंकराचार्य बने थे?
स्वामी स्वरूपानंद को 1950 में दांडी संन्यासी बनाया गया था। उन्होंने ज्योतिर्मठ पीठ के ब्रह्मलिन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से दंड संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से जाने गए। 1981 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली। वे द्वारका पीठ के शंकराचार्य होने के साथ-साथ उत्तराखंड के जोशीमठ के ज्योतिषपीठ भी थे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की उपाधि मिली। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यु के बाद अब उनके उत्तराधिकारी की चर्चा तेज हो गई है।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 वर्ष के थे। उन्हें मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में सोमवार को भू समाधि दी जाएगी.
Who will be the next Shankaracharya of Dwarka Peeth? - Read in English
Swami Swaroopanand Saraswati, Shankaracharya of Dwarkapeeth, passed away on Sunday afternoon. After Swamiji's Devlok Yatra, the discussion on the name of his successor intensified. After the announcement of the successor, the Sant Samaj will take a decision on Dwarka and Jyotish Peeth.
Blogs Sankaracharya BlogsDwarkapeeth BlogsNew Dwarkapeeth Sankaracharya BlogsSankaracharya Samadhi Blogs
अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।

तनखैया

तनखैया जिसका अर्थ है “सिख पंथ में, धर्म-विरोधी कार्य करनेवाला घोषित अपराधी।