रुक्मिणी हरण एकादशी (Rukmini Harana Ekadashi)

जय जय जगन्नाथ सुर्यवंश समुद्भव,
रुक्मिणीपति देवेश शेषछत्र सुशोभितः ।
आंजनेय प्रियः शान्तः रामरूपी सुवन्दितः,
कुर्वन्तु मंगलं क्षेत्रे भक्तानां प्रियवादिनां ॥
रुक्मिणी हरण एक ऐसी घटना है जो मदनमोहन और रुक्मिणी के बीच विवाह का त्यौहार है। यह पुरी जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा में एक भव्य त्योहार है। यह पुरी जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा में एक भव्य त्योहार के रूप मे मनाया जाता है। यह ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी अर्थात निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

मंदिर के अंदर विवाह मंडप (विवाह वेदी) पर ओडिया कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन विवाह किया जाता है। समारोह की शुरुआत देवताओं की शाम की रस्मों से होती है। प्रार्थना करने के बाद, देवताओं को धार्मिक स्नान कराया जाता है और नए कपड़े पहनाए जाते हैं।

पुजारी और सेवायत विवाह सामग्री की व्यवस्था करते हैं और अनुष्ठान के अनुसार विवाह किया जाता है। फिर नवविवाहित दिव्य जोड़े को मुख्य मंदिर के अंदर रत्न सिंहासन ले जाया जाता है। भक्तों को महाप्रसाद परोसे जाने के साथ समारोह का समापन होता है।

इससे पहले दिन में, रुक्मिणी हरण उत्सव मंदिर के अंदर मनाया जाता है। देवी रुक्मिणी के साथ भगवान जगन्नाथ का दिव्य मिलन प्रतीकात्मक महत्व से भरा है। श्रीकृष्ण के साथ रुक्मिणी के विवाह की कहानी हमारे प्राचीन पवित्र ग्रंथों जैसे विष्णु पुराण, महाभारत, स्कंद पुराण, भागवत पुराण और अन्य जगहों में बताई गई है।
Rukmini Harana Ekadashi - Read in English
Rukmini Haran is one such event which is the festival of marriage between Madanmohan and Rukmini. It is a grand festival at Puri Jagannath Temple, Odisha. It falls during Nirjala Ekadashi day (Jyestha Shukla Ekadashi).
Blogs Rukmini Harana BlogsEkadashi Vrat BlogsNirjala Ekadashi BlogsVrat BlogsVishnu Bhagwan BlogsJyaistha Shukla Ekadashi Blogs
अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।