राम मंदिर के राम: शालिग्राम पहुँचा अयोध्या (Ram Mandir Ke Ram: Shaligram Reached Ayodhya)

बहु प्रतीक्षित भब्य राम मंदिर अयोध्या में स्थापित होने वाले प्रभु राम की मूर्ति का पत्थर अयोध्या आ गयी है। यह शालिग्राम शिला, नेपाल की बड़ी गंडक नदी से अयोध्या लाया गया है जिस पर भगवान राम की मूर्ति उकेरी जाएगी और गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। इस 7 फुट लंबे और 5 फुट चौड़े आकार के दो शालिग्राम शिला को मूर्तिकार जल्द ही भगवान राम और माता सीता की मूर्ति का आकार देंगे। यह पत्थर 600 साल पुराना और बेहद चमत्कारी बताया जाता है, धार्मिक कथाओं के साथ-साथ इसके लंबे समय तक ऐसे ही रहने की बात भी कही जाती है।
भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार
शालिग्राम पत्थर से लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पत्थर को भगवान विष्णु के अवतार की प्रतीक है। इन पत्थरों की हिंदू धर्म में विशेष आस्था है। हिंदू घरों में पूजे जाने वाले ठाकुरजी और मंदिर भी इन पत्थरों से बने होते हैं। शालिग्राम पत्थर को भगवान विष्णु के रूप में पूजा जाता है। इसे किसी भी स्थान पर स्थापित कर उसकी पूजा करने से वहां लक्ष्मी जी का वास होता है। इन्हीं मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में शालिग्राम शिला से भगवान राम की मूर्ति तैयार करने का निर्णय लिया गया है।

सालिग्राम के पीछे की पौराणिक कहानी
धार्मिक ग्रंथों की पौराणिक कथाओं में मां तुलसी और भगवान शालिग्राम का जिक्र मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाने के लिए जलंधर नामक राक्षस ने कैलाश पर्वत पर आक्रमण किया था। और जलंधर को देवताओं से बचाने के लिए उसकी पत्नी वृंदा ने तपस्या शुरू कर दी। इससे देवता घबरा गए। ऐसे में भगवान विष्णु जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के सामने पहुंचे। इसके बाद वृंदा ने जलंधर को अपने सामने देखकर अपनी तपस्या छोड़ दी। इसके बाद राक्षस जलंधर का वध किया जा सका।

जब वृंदा को इस बात का पता चला तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। इस पर देव लोक के देवता वृंदा के पास पहुंचे और उनसे श्राप मुक्त करने का आग्रह किया। भगवान विष्णु तो श्राप से मुक्त हो गए लेकिन वह स्वयं अग्नि में लीन हो गईं। कहा जाता है कि उनकी राख से मां तुलसी का जन्म हुआ था। बाद में, माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम से हुआ था। इसलिए आज भी इन पत्थरों का इतना धार्मिक महत्व है।

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के मुताबिक मंदिर के गर्भगृह में राम लला के स्वरूप के निर्माण का काम शुरू करने की तैयारी चल रही है।
Ram Mandir Ke Ram: Shaligram Reached Ayodhya - Read in English
The stone for the idol of Bhagwan Ram to be set up in the much-awaited grand Ram temple Ayodhya has arrived. This Shaligram Shila, brought to Ayodhya from the big Gandak river in Nepal, will be used to carve the idol of Bhagwan Ram and install it in the sanctum.
Blogs Ram Murti Stone BlogsJia Shri Ram BlogsShri Vishnu BlogsDashavatar BlogsShaligram Shila BlogsShaligram Avatar BlogsShri Ram Janmbhoomi BlogsRam Mandir BlogsAyodhya Blogs
अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।