कुल्लू हिमाचल प्रदेश का अनोखा दशहरा: बिना रावण दहन के मनाया जाता है दशहरा, जानें क्यों है खास! (Unique Dussehra of Kullu Himachal Pradesh: Dussehra is celebrated without burning Ravan, know why it is special!)

जब देशभर में दशहरा खत्म होता है तो कुल्लू में एक अनोखा दशहरा शुरू होता है। इस दशहरे में न तो रावण जलाया जाता है और न ही उससे जुड़ी कहानियां लोगों को सुनाई जाती हैं। यहां दशहरा एक रंगारंग कार्यक्रम है जो दशमी तिथि से शुरू होकर अगले 7 दिनों तक चलता है। इस साल इसका आयोजन 24 अक्टूबर से अगले 7 दिनों तक किया जाएगा।
कुल्लू के दशहरे का इतिहास
कहा जाता है कि 1650 के दौरान कुल्लू के राजा जगत सिंह एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गए। ऐसे में एक बाबा पयहारी ने उनसे कहा कि उनका इलाज अयोध्या के त्रेतानाथ मंदिर से भगवान रघुनाथ की मूर्ति लाकर किया जाएगा और उनके चरणामृत से ही उनका इलाज किया जाएगा। कई संघर्षों के बाद कुल्लू में रघुनाथ जी की मूर्ति स्थापित की गई और राजा जगत सिंह ने सभी देवी-देवताओं को यहां आमंत्रित किया, जिन्होंने भगवान रघुनाथ जी को सबसे बड़े देवता के रूप में स्वीकार किया। तभी से देवताओं के मिलन का प्रतीक दशहरा उत्सव शुरू हुआ और तब से यह आयोजन यहां हर साल होता है।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा कैसे मनाया जाता है?
कुल्लू के दशहरे का भव्य उत्सव धौलपुर के मैदान में होता है और यह उगते चंद्रमा के दसवें दिन शुरू होता है और 7 दिनों तक चलता है। ऐसा माना जाता है कि यह दशहरा 16वीं शताब्दी में शुरू हुआ था और पहली बार 1662 में मनाया गया था। इस दशहरा के पहले दिन, दशहरा की देवी और मनाली की हिडिम्बा कुल्लू आती हैं। इस दौरान राजपरिवार के सभी सदस्य देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने आते हैं।

लोक कथा है कि इसे देखने के लिए देवता स्वयं धरती पर आते हैं। यहां के स्थानीय लोग ढोल की धुन पर नाचते हैं और अपने रथ खींचते हैं और इस दिलचस्प नजारे को पूरी दुनिया देखती है। दशहरे के इस आयोजन को हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और आस्था से जोड़कर देखा जाता है।
Unique Dussehra of Kullu Himachal Pradesh: Dussehra is celebrated without burning Ravan, know why it is special! - Read in English
A unique Dussehra in Kullu starts from Dashami Tithi and continues for the next 7 days. In this Dussehra, Ravan never burn.
इस वर्ष कुल्लू के दशहरा उत्सव की विशेषताएँ
इस वर्ष मेले में रूस, इज़राइल, रोमानिया, कजाकिस्तान, क्रोएशिया, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड, पनामा, ईरान, मालदीव, मलेशिया, केन्या, दक्षिण सूडान, जाम्बिया, घाना और इथियोपिया सहित 19 देशों की भागीदारी होगी। देश भर से कलाकार विभिन्न राज्य महोत्सवों में भाग लेंगे। महोत्सव में 25 अक्टूबर को सांस्कृतिक परेड और 30 अक्टूबर को कुल्लू कार्निवल शामिल होगा।
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