हिंदू धर्म में बुराइयों से छुटकारा पाने के कई उपाय हैं। हिन्दू धर्म में पवित्र सूत्रों का बड़ा महत्व होता है। लोग इन पवित्र धागों को अपने शरीर के विभिन्न अंगों में धारण करते हैं सकारात्मक परिणामके लिए। पवित्र धागों में लाल, नारंगी, सफेद, काला और पीला जैसे विभिन्न रंग मौजूद होते हैं। सभी धागों के अपने विशिष्ट कारण होते हैं।
पवित्र रंगीन धागों के महत्व:
सफेद धागा (जनेऊ)
यह विशेष धागा केवल ब्राह्मण जाति के परिवारों के पुरुष सदस्य ही पहनते हैं।
इसमें एक युवा लड़के से एक पुरुष में परिवर्तन को दर्शाया गया है। ब्राह्मण पवित्र "धागा समारोह" नामक एक समारोह आयोजित करके पुरुष सदस्य को इसे पहनाते हैं। कुछ क्षत्रिय और वैश्य भी इसे पहनते हैं।
लाल धागा (कलावा)
लाल धागे हिंदुओं में बहुत आम हैं। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इसे एक छोटी सी पूजा विधि से पहन सकती हैं।
लाल धागा आमतौर पर पुरुषों और अविवाहित महिलाओं के दाहिने हाथ पर बांधा जाता है, जबकि विवाहित महिलाओं के लिए यह बाएं हाथ पर बांधा जाता है। यह धागा आपको किसी भी मंदिर में मिल जाएगा। यह एक सूती धागा है और सबसे पहले इसे देवता को कपड़े के रूप में चढ़ाया जाता था।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी या
अनंत चतुर्दशी के दिन लाल धागा जिसे "अनंत चौदस धागा" कहा जाता है, पहनना बहुत शुभ माना जाता है। इसे या तो बाजूबंद के रूप में पहनते हैं। इसे धारण करने से सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
महत्व: लाल धागा या कलावा लंबी उम्र और दुश्मनों से सुरक्षा का प्रतीक है। इसलिए, इसे "रक्षा धागा" भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसे पहनने से भगवान का आशीर्वाद आप पर बना रहता है।
काला धागा
यह हिंदुओं द्वारा पहना जाने वाला एक और शक्तिशाली धागा है। छोटे बच्चों के मामले में, यह आमतौर पर उनकी कमर के चारों ओर बांधा जाता है और वयस्क इसे अपनी बायीं कलाई या बाजूबंद में बांधते हैं। कुछ लोग इसके साथ एक विशेष जड़ भी बांधते हैं और इसे हार के रूप में पहनते हैं। जो लोग काला जादू/तांत्रिक विद्या का अभ्यास करते हैं वे इसे अपने दाहिने पैर में भी पहन सकते हैं।
महत्व: ऐसा कहा जाता है कि यह बच्चों को बुरी नज़र से दूर रखता है। यह लोगों को बुरी आत्मा या अवांछित तंत्र मंत्र से भी दूर रखता है।
नारंगी या केसर का धागा
दक्षिण और पूर्वी भारत में नारंगी धागे काफी प्रचलित हैं। लोग इसे अलग-अलग कारणों से पहनते हैं। यह एक लंबा धागा है जिसे एक बंडल बनाने के लिए कलाई के चारों ओर कई बार लपेटा जाता है।
महत्व: ऐसा कहा जाता है कि यह प्रसिद्धि, शक्ति लाता है और व्यक्ति को सभी बुराईयों से बचाता है।
पीला धागा
पीला रंग शुद्धता और अच्छे स्वास्थ्य का रंग है। लोग शादी-ब्याह या घर के उद्घाटन समारोह जैसे शुभ कार्यों में इस रंग को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। हिंदू विवाह के दौरान मोटे सूती धागे में हल्दी डालकर सौभाग्य के प्रतीक के रूप में इसका उपयोग करते हैं। दुल्हन को इसे गले या बाजूबंद में तीन गांठें लगाकर पहनाया जाता है।
महत्व: ऐसा कहा जाता है कि इससे वैवाहिक जीवन सुखी और सफल होता है। इससे दुल्हन के पति की लंबी आयु भी सुनिश्चित होती है।