भक्तमाल | स्वामी विवेकानंद
असली नाम - नरेंद्रनाथ दत्ता
गुरु -
रामकृष्ण परमहंस
आराध्या - भगवान शिव, माँ काली
जन्म - 12 जनवरी 1863 (माघ कृष्ण सप्तमी, विक्रम सम्वत 1919) (राष्ट्रीय युवा दिवस)
जन्म स्थान - कलकत्ता
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
भाषा - अंग्रेजी, बंगाली, संस्कृत
पिता - विश्वनाथ दत्ता
माता - भुवनेश्वरी देवी
गोलोक गमन - 4 जुलाई 1902
मुख्य शिष्य -
भगिनी निवेदिता
संस्थापक: रामकृष्ण मिशन
साहित्यिक कृतियाँ: राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, माई मास्टर, कोलंबो से अल्मोड़ा तक व्याख्यान
प्रसिद्ध उद्धरण:
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाएस्वामी विवेकानंद एक भारतीय हिंदू भिक्षु, दार्शनिक, लेखक, धार्मिक शिक्षक और भारतीय रहस्यवादी रामकृष्ण के प्रमुख शिष्य थे। वे वेदांत और योग को पश्चिमी दुनिया में लाने में एक प्रमुख व्यक्ति थे और उन्हें अंतर-विश्वास जागरूकता बढ़ाने और हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म की स्थिति में लाने का श्रेय दिया जाता है।
विवेकानंद जी को छोटी उम्र से ही धर्म और अध्यात्म की ओर लगाव था। गुरु, रामकृष्ण के संस्पर्श एके वो साधु बन गए। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद, विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया, भारतीय लोगों की जीवन स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया। अपने देश के लोगों की दुर्दशा देख कर, उन्होंने मदद करने का संकल्प लिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा किया, जहाँ वे अत्यधिक सफल रहे।
भारत में, विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ की स्थापना की, जो दान, सामाजिक कार्य और शिक्षा प्रदान करता है और रामकृष्ण मिशन आध्यात्मिक प्रशिक्षण प्रदान करता है। विवेकानंद समकालीन हिंदू सुधार आंदोलनों में भी एक प्रमुख शक्ति थे, और उन्होंने औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रवाद की अवधारणा में योगदान दिया। उन्हें एक देशभक्त संत के रूप में माना जाता है, और
भारत में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
4 जुलाई 1902 के बेलूर मठ में विवेकानंद ध्यान करते समय
महासमाधि प्राप्त की।