शुकदेव जी (Sukhdev ji)


भक्तमाल: शुकदेव जी
अन्य नाम - मुनिश्रेष्ठ शुकदेव जी
गुरु - देवगुरु बृहस्पति, राजा जनक
आराध्य - भगवान श्री कृष्ण
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
भाषा – संस्कृत
पिता - वेदव्यास
माता- वाटिका
प्रसिद्ध - शुकदेव महाभारत काल के ऋषि थेशुकदेवजी, हिंदू धर्म में एक महान ऋषि हैं। वह ऋषि व्यास के पुत्र और भागवत पुराण के मुख्य कथावाचक थे। शुकदेवजी को एक संन्यासी के रूप में दर्शाया गया है, जिन्होंने मोक्ष की खोज में दुनिया को त्याग दिया था और मोक्ष प्राप्त किया।

हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार शुकदेवजी अपने पिता की तरह ही तपस्वी शक्ति और वेदों के साथ पैदा हुए थे।

शुकदेव के जन्म के बारे में यह कहा जाता है कि ये महर्षि वेद व्यास के अयोनिज पुत्र थे और यह बारह वर्ष तक माता के गर्भ में रहे। कथा कुछ इस प्रकार है। भगवान शिव, पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे। जब भगवान शिव को यह बात ज्ञात हुई, शुक सारी बातें सुन रहे हैं तब उन्होंने शुक को मारने के लिये दौड़े। शुक जान बचाने के लिए व्यास जी के आश्रम में सूक्ष्मरूप बनाकर उनकी पत्नी के मुख में घुस गये। ऐसा कहा जाता है कि ये बारह वर्ष तक गर्भ के बाहर ही नहीं निकले। जब भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर इन्हें आश्वासन दिया कि बाहर निकलने पर तुम्हारे ऊपर माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा, तभी ये गर्भ से बाहर निकले और व्यासजी के पुत्र कहलाये। गर्भ में ही इन्हें वेद, उपनिषद, दर्शन और पुराण आदि का सम्यक ज्ञान हो गया था।

शुकदेव जी को भागवत पुराण में महारत हासिल थी। भगवान श्रीकृष्ण की सारी महिमा उन्हीं के द्वारा कही गयी है। इसीलिए भगवान शुकदेव के नाम के बिना कोई भी कहानी अस्तित्व में नहीं है। पहली बार भगवान श्री शुकदेव जी ने भागवत शुकतीर्थ में सुनाया था। वर्तमान में शुकतीर्थ उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित है।
Sukhdev ji - Read in English
Sukhdev ji is a great sage in Hindu religion. He was the son of sage Vyas and the chief narrator of the Bhagavata Purana.
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