भक्तमाल | दादा देव महाराज
वास्तविक नाम - जय देव सोलंकी
अन्य नाम - धर्मदेव
आराध्य - भगवान विष्णु
जन्म – दशहरा, 597 ई. 654 विक्रम संवत
जन्म स्थान - टोडारायसिंह गांव, टोंक जिला, राजस्थान
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
भाषा - मारवाड़ी
पिता - राजा राय सिंह सोलंकी
माता - रानी फूलवती
प्रसिद्ध - आध्यात्मिक नेता, ग्राम देवता
दादा देव महाराज राजस्थान के टोंक में टोडारायसिंह के सोलंकी वंश के एक प्रसिद्ध संत थे। उन्होंने 717 AD (VS 774) में 120 वर्ष की आयु में समाधि ली थी।
श्री दादा देव जी महाराज ने पालम, शाहबाद, बागडोला, नसीरपुर, बिंदापुर, डबरी, असालतपुर, उंटकला, मटियाला, बापरोला, पूठकला और नंगलराय में ग्राम देवता के रूप में पूजा की, इसलिए भक्तों ने
श्री दादा देव मंदिर नामक मंदिर का निर्माण किया। जो हर किसी की मनोकामना पूरी करने वाला माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। यह भी माना जाता है कि दादा देव महाराज को भी ईश्वर की दिव्य शक्तियों का वरदान प्राप्त था। यह मंदिर श्री दादा देव महाराज के नाम से जाना जाता है।
मान्यता के अनुसार दादा देव महाराज का अवतार राजस्थान जिले टोंक के एक छोटे से गाँव टोडा राय सिंह में हुआ था। इस गांव में वे एक पत्थर की शिला पर बैठकर तपस्या करते थे। माना जाता है कि उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें दैवीय शक्ति प्रदान की थी। जिसके बाद उन्होंने लोगों का कल्याण करना शुरू कर दिया। उसी शिला पर ध्यान करते हुए दादा देव ने अपना शरीर त्याग दिया और ब्रह्मलीन हो गए।