तू अपने भीतर झाँक बावळे,
*और ना छोड़ ।
सबकी टोटा कमी फिरे जे,
निंदा चुगली खूब करे जा,
बण रहा घणा चालाक बावळे,
और ना छोड़,
तू अपने भीतर झाँक बावळे,
और ना छोड़ ।
घूमे जा सै जग सारे में,
सोचे ना खुद के बारे में,
तेरी मिच रही दोन्यूं आँख बावळे,
और ना छोड़,
तू अपने भीतर झाँक बावळे,
और ना छोड़ ।
कोन्या माणस नीत खरी का,
मुख में राखे नाम हरी का,
छुरी दबा रहा काख बावळे,
और ना छोड़,
तू अपने भीतर झाँक बावळे,
और ना छोड़ ।
हो ज्या
रामधन अमर कहाणी,
कगसरिये लिख सच्ची वाणी,
मत ना झूठी आंक बावळे,
और ना छोड़,
तू अपने भीतर झाँक बावळे,
और ना छोड़ ।
तू अपने भीतर झाँक बावळे,
और ना छोड़ ।
तू अपने भीतर झाँक बावळे,
और ना छोड़ ।
तू अपने भीतर झाँक बावळे,
और ना छोड़ ।
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