तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरे बाल बड़े घुंगराले,
बादल जो कारे कारे ।
तेरी मोर मुकट लटकनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरी चाल अजब मतवाली,
लगती है प्यारी-प्यारी ।
तेरी पायल की झंकार पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरे संग में राधा प्यारी,
लगती है सबसे नियारी ।
इस युगल छवि पे मे जाऊ,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरे नयन बड़े मतवारे,
मटके है कारे कारे ।
तेरी तिरछी सी चितवनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
Teri Mand-mand Muskaniya Pe, Balihar Sanware Ju । Teri Mand-mand Muskaniya Pe बलिहार राघव जू..
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरे स्याम शरीर की शोभा,
लख कोटि मनोहर लोभा
तेरी मधुर मधुर चितवनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
मुख कुटिल अलकियाँ लटकें,
मानों पाटल पर मधुकर भटके ।
तेरी चपल चपल चितवनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
मकराकृति सोहें कुण्डल,
मुख निरख लगे विधुमंडल ।
तेरी मधुर मधुर किलकनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
श्रुति कुंडल चारु विराजे,
खंजन से नैना राजे ।
तेरी कुटिल कुटिल अलकियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
नैना सोहे रतनारे,
अधरामृत अति अरुनारे ।
तेरी तोतली मधुर वचनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
लख अरुण अधर की शोभा,
कोटिन मुनिजन मन लोभा ।
तेरी कमल चरन कंकनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
तन पीत पीताम्बर सोहे,
लख लख के मुनि मन मोहे ।
तेरी कंचनमय कंकनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
तन पर पीतांबर राजे,
चित धुरि कलित बहु भावे ।
तेरी स्वर्णमयी कंकनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
कहे रामभद्र आचारज,
मत मानो मन में अचरज ।
तेरी ललित ललित लरिकनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
कह रामभद्र आचारज,
लख आवे मन में अचरज ।
तेरि छगन मगन पैंजनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
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