सियारानी का अचल सुहाग रहे - भजन (Bhajan: Siyarani Ka Achal Suhag Rahe)


मेरे मिथिला देश में, आओ दूल्हा भेष ।
ताते यही उपासना, चाहिए हमें हमेशा ॥
सियारानी का अचल सुहाग रहे ।
मैया रानी का अचल सुहाग रहे ।
राजा राम जी के सिर पर ताज रहे ॥

जब तक पृथ्वी अहिषीश रहे ।
नभ में शशि सूर्य प्रकाश रहे ।
गंगा जमुना की धार रहे ।
तब तक यह बानक बना रहे ॥
॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥

ये बना रहें वे बनीं रहें ।
नित बना बनीं में बनीं रहें ॥
अविचल श्री अवध का राज रहे ।
अविरल श्री सरयू की धार बहे ।
॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥

प्रेमीजन का बरभाग रहे ।
चरणों में नित अनुराग रहे ॥
ये सुहाग रहे सिरताज रहे ।
नित नित यह बानक बना रहे ॥
॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥

सियारानी का अचल सुहाग रहे ।
मैया रानी का अचल सुहाग रहे ।
राजा राम जी के सिर पर ताज रहे ॥
Bhajan: Siyarani Ka Achal Suhag Rahe - Read in English
Siyarani Ka Achal Suhag Rahe । Maiya Rani Ka Achal Suhag Rahe । Raja Ram Ji Ke Sir Par Taaj Rahe | Jab Tak Prithvi Ahishish Rahe ।
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