सखी मेरी चुनर पे रंग गयो डाल,
यशोदा को लाल वो तो नन्द जी को लाल ॥
निकली थी ओढ़ के मैं पीली चुनरिया,
जाने कहां से सखी आयो सँवरिया,
पीली मेरी चुनर को कर गयो लाल लाल,,
यशोदा को लाल वो तो नन्द जी को लाल ॥
सखी मेरी चुनर पे रंग गयो डाल,
यशोदा को लाल वो तो नन्द जी को लाल ॥
विनती करी मैंने हाथ जोड़ के,
कोशिश करी मैंने बचने की दौड़ के,
पीछे पीछे दौड़ा सखी ले के गुलाल,
यशोदा को लाल वो तो नन्द जी को लाल ॥
सखी मेरी चुनर पे रंग गयो डाल,
यशोदा को लाल वो तो नन्द जी को लाल ॥
कुछ भी सखी मैं कर ना पाई,
जब उसने पकड़ी मेरी कलाई,
मल गयो मेरे मुख पे गुलाल,
यशोदा को लाल वो तो नन्द जी को लाल,
सखी मेरी चुनर पे रंग गयो डाल,
यशोदा को लाल वो तो नन्द जी को लाल ॥