ओ मंगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥
दोहा – मेहंदीपुर में देखले,
झुकती ये दुनिया सारी,
कटते है उनके संकट,
आते जो नर नारी ॥
महिमा का तेरी,
कैसे करूँ मैं बखान,
ओ मंगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम,
दुनिया में जिसने ओ बाबा,
तुमको जनम दिया,
दुनिया की उस पूज्य माँ के,
चरणों को प्रणाम,
शक्ति मिली है तुमको,
जिस माँ के दूध से,
उस रतन उस नयन,
उसके तन को प्रणाम,
ओ मँगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥
मुख में जो सूर्य रखा,
तो प्रकाश गुम हुआ,
हे अंजनी के नंदन,
लो कबुल कर दुआ,
उस सफर उस डगर,
उस समय को प्रणाम,
उस सफर उस डगर,
उस समय को प्रणाम,
पल में अँधेरा टाला,
ब्रम्हांड का तभी,
उस उमर उस नज़र,
और बल को प्रणाम,
ओ मँगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥
संकट है कटते जहाँ,
मेहंदीपुर वो धाम है,
क्योकि वहां पर भी तेरे,
ह्रदय में राम है,
भागते है भुत बाबा,
एक तेरे नाम से,
सुनते है खुश तू होता,
बस राम नाम से,
होता ‘अजय’ जो तेरी,
भक्ति में खो गया,
धीरज है मिलता उसको,
आता जो धाम है,
मोहन की मुरली जैसी,
मन में समा गई,
ऐसी निराली तेरी,
छवि को प्रणाम,
जन्मो जनम ना होगी,
जन्मो जनम ना होगी,
महिमा तेरी बखान,
ऐसी अलौकिक शक्ति,
अमर को प्रणाम,
ओ मँगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥
महिमा का तेरी,
कैसे करूँ मैं बखान,
ओ मंगलकारी,
चरणों में शत शत प्रणाम ॥
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